बलरामपुर। जिले में थाना रेहरा बाजार क्षेत्र का मामला, बैंक कर्मचारियों और अन्य आरोपियों की मिलीभगत से हुआ बड़ा घोटाला जिले के थाना रेहरा बाजार क्षेत्र में एक बड़े फर्जी चेक घोटाले का खुलासा हुआ है। इस घोटाले में आरोपियों ने स्वयं सहायता समूह के खाते से 1,35,000 रुपये निकालने के लिए फर्जी चेक जारी किए थे। पुलिस ने इस मामले में 5 आरोपियों को गिरफ्तार किया है, जिनमें दो मुख्य आरोपी रामबाबू गुप्ता और सुशील तिवारी के अलावा तीन बैंक कर्मचारी भी शामिल हैं।घटना 27 अप्रैल 2025 को सीमा देवी द्वारा थाना रेहरा बाजार में दी गई थी। सीमा देवी ने बताया कि 14 फरवरी 2024 को रामबाबू गुप्ता और सुशील तिवारी ने संगम स्वयं सहायता समूह के खाते से 1,35,000 रुपये निकालने के लिए फर्जी चेक जारी किया। यह राशि यूपीएसआरएलएम से प्राप्त धनराशि और बैंक द्वारा जमा किए गए ब्याज से मिलाकर निकाली गई थी। फर्जी दस्तावेजों और चेक के जरिए आरोपियों ने यह राशि निकाल ली थी।पुलिस अधीक्षक बलरामपुर, विकास कुमार ने मामले की त्वरित जांच के निर्देश दिए। अपर पुलिस अधीक्षक योगेश कुमार और क्षेत्राधिकारी राघवेन्द्र सिंह के निर्देशन में थाना रेहरा बाजार की पुलिस टीम ने इस धोखाधड़ी का पर्दाफाश किया।
फर्जी चेक के जरिए पैसों को निकाल लिया
पुलिस ने 30 अप्रैल 2025 को दो मुख्य आरोपियों रामबाबू गुप्ता और सुशील तिवारी को गिरफ्तार किया। इसके अलावा तीन बैंक कर्मचारियों को भी गिरफ्तार किया गया, जिनमें अतिन सक्सेना (असिस्टेंट मैनेजर), प्रकाश सौरभ पाल (असिस्टेंट ब्रांच मैनेजर), और रिंकू शर्मा उर्फ कौशल कुमार (बैंक वीसी) शामिल थे।पूछताछ में सुशील तिवारी ने बताया कि उसका बैंक में लोन था और वह आर्थिक तंगी से जूझ रहा था। उसकी पत्नी स्वयं सहायता समूह में काम करती थी, जहां उसकी मुलाकात बैंक कर्मचारी रिंकू शर्मा से हुई। रिंकू ने उसे बताया कि संगम स्वयं सहायता समूह के खाते में 1,36,000 रुपये पड़े हैं, जिनमें कोई लेन-देन नहीं हुआ है और वह इन पैसों को निकाल सकता है। इसके बाद सुशील ने रामबाबू गुप्ता को इस घोटाले में शामिल किया और एक कूटरचित संकल्प पत्र तैयार कर बैंक कर्मचारियों की मदद से फर्जी चेक के जरिए पैसों को निकाल लिया।
कूटरचित मोहर भी किया बरामद
पुलिस ने आरोपियों से एक कूटरचित मोहर भी बरामद किया है, जिसका उपयोग फर्जी दस्तावेज तैयार करने में किया गया था। पुलिस ने आरोपियों के खिलाफ विभिन्न धाराओं में मामला दर्ज किया और उन्हें न्यायिक हिरासत में भेज दिया। इस मामले में पुलिस टीम ने महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाई और घटना का खुलासा करने में सफलता पाई। गिरफ्तार करने वाली टीम में प्रभारी निरीक्षक दुर्गेश कुमार सिंह, उ.नि. समर बहादुर सिंह, का. अजीत कुमार सिंह, और का. कौशल कुमार शामिल थे।पुलिस ने इस घोटाले की पूरी साजिश का पर्दाफाश करते हुए आगे की कानूनी कार्रवाई शुरू कर दी है। पुलिस का कहना है कि आरोपियों को कड़ी सजा दिलाने के लिए सभी आवश्यक कदम उठाए जाएंगे।