सद्भावना आवाज
बलरामपुर
बलरामपुर राज परिवार सदैव से ही अपने नगर वासियों की भलाई के लिए जाना जाता रहा है। बलरामपुर जनपद में नगरवासियों के लिए समर्पित आज भी तमाम ऐसी इमारतें और भवन हैं जिसका उपयोग नगरवासी किसी न किसी रूप में कर रहे हैं,चाहे वह स्कूल हो,अस्पताल हो या और ,यह सभी बलरामपुर राजपरिवार की ही देन है।ऐसे ही बलरामपुर राजपरिवार के पूर्व महाराज श्री धर्मेन्द्र प्रताप बहुत ही उदार प्रवृत्ति के थे और सदैव अपनी जनता को काफी स्नेह करते थे। कुछ वर्ष पहले एक दिन अचानक दिल का दौरा पड़ने से उत्तर प्रदेश की राजधानी में उनका निधन हो गया था।
महराजा जयेंद्र प्रताप ने अपने पिता की स्मृति में किया फल और खाद्यान्न का वितरण
उनकी उपलक्ष्य में आज दिनांक 5 जुलाई 2023 को वर्तमान महाराजा जयेंद्र प्रताप सिंह ने अपने पूज्य पिता स्वर्गीय धर्मेंद्र प्रताप की स्मृति में विभिन्न चिकित्सालयों में और सार्वजनिक स्थानों पर फल एवं खाद्यान्न का वितरण करके स्वर्गीय महाराजा साहब के प्रति अपनी श्रद्धांजलि अर्पित की। इस क्रम में सर्वप्रथम संयुक्त चिकित्सालय बलरामपुर के मुख्य चिकित्सा अधीक्षक डॉक्टर राज कुमार वर्मा जी ,डॉ अवनीश दीक्षित जी ,डॉक्टर पी के त्रिपाठी जी ,डॉक्टर सुरेंद्र दुबे जी, डॉ रुचि पांडे जी, राकेश वर्मा जी के साथ एमएलके पीजी कॉलेज के वनस्पति विज्ञान विभाग के विभागाध्यक्ष डॉ राजीव रंजन ने फल और खाद्यान्न का वितरण किया।तदोपरांत मेमोरियल चिकित्सालय के मुख्य चिकित्सा अधीक्षक डॉ हीरालाल जी, डॉ राजेंद्र प्रसाद जी, डॉ उमेश कुशवाहा जी, डॉ आर के सिंह जी एवं आर पी तिवारी जी के साथ मरीजों के लिए फल एवं खाद्यान्न का वितरण किया गया। महिला चिकित्सालय में भी यही टीम ने मुख्य चिकित्साधीक्षक डॉ विनीता राय जी ,डॉक्टर वसीम अहमद जी, पूर्णिमा सिंह जी ,सरिता देवी जी के साथ फल एवं खाद्यान्न का वितरण करके महाराजा साहब के प्रति श्रद्धांजलि व्यक्त की।
बलरामपुर स्टेट 14वीं सदी में स्थापित
बलरामपुर राज की स्थापना चंद्रवंशी पांडव खानदान के युवराज बरयार शाह पावागढ़ गुजरात के वंशज बलरामपुर शाह ने की थी। बलरामपुर स्टेट 14वीं सदी में स्थापित हुआ था। राजपरिवार के लोग अत्यंत दूरदर्शी थे। बलरामपुर राज के पहले शासक राज माधव सिंह व अंतिम शासक महाराज पटेश्वरी प्रसाद सिंह रहे। देश की आज़ादी के बाद तक जीवित रहने वाले महाराज पाटेश्वरी प्रसाद सिंह की मृत्यु के बाद राज परिवार की कमान उनके दत्तक पुत्र महाराज धर्मेंद्र प्रसाद सिंह संभाल रहे थे। महाराजा दिग्विजय सिंह का देहावसान हो जाने पर महारानी इन्द्रकुवंरी ने उदित नारायण सिंह को गोद लिया जिनका नाम भगवती प्रसाद सिंह रखा गया। करीब 20 साल राज करने के बाद उनके मृत्यु के पश्चात उनके पुत्र पाटेश्वरी प्रसाद सिंह ने राज गद्दी संभाली।
उदारता के प्रतीक बलरामपुर राजपरिवार का इतिहास
बलरामपुर राज परिवार के मुखिया धर्मेन्द्र प्रसाद सिंह की आकस्मिक मौत से पूरे जिले में शोक की लहर दौड़ गई। राज परिवार के निवास नीलबाग पैलेस में सन्नाटा पसरा हुआ था। 29 जुलाई की देर शाम लखनऊ में धर्मेन्द्र प्रसाद सिंह की ह्रदय गति रुक जाने से मौत हो गयी थी। मौत की खबर मिलते ही नगरवासी शोक में डूब गये। बलरामपुर राज परिवार के मुखिया धर्मेन्द्र प्रसाद सिंह की मृत्यु पर सीएम योगी ने भी शोक व्यक्त करते हुये कहा था कि इनके निधन से समाज को बड़ी क्षति हुई है। राजपरिवार का सामाजिक क्षेत्र में काफी योगदान रहा है। शिक्षा, स्वास्थ्य और धार्मिक क्षेत्र अपने योगदान को लेकर राजपरिवार ने पूरे देश में अपनी अलग पहचान बना रखी है। इस राज परिवार ने अपने राजमहल सिटी पैलेस को एमएलकेपीजी कालेज के रुप में स्थापित किया था जो आज तराई के आक्सफोर्ड के रुप में अपनी पहचान बनाये हुये है। इसके अलावा तमाम स्कूल और कालेज राज परिवार के संरक्षण में चलाये जा रहे है। यही नही स्वास्थ्य की दिशा में राज परिवार का महत्वपूर्ण योगदान रहा है। जमीन्दारी उन्मूलन के पश्चात भी इस राजपरिवार के सामाजिक, सांस्कृतिक और शैक्षिक योगदान में राज परिवार के मुखिया धर्मेन्द्र प्रसाद सिंह का योगदान काफी सराहनीय रहा है। यहां के लोगों की जुबान पर धर्मेन्द्र प्रसाद सिंह की लोकप्रियता के चर्चे हैं। कुछ माह पूर्व ही जिले के दौरे पर आये सीएम योगी ने ने भी बलरामपुर राजपरिवार को नमन करते हुए उनके द्वारा जनहित के कार्यों की भी सराहना की थी।बलरामपुर राज परिवार का एक गौरवशाली इतिहास रहा है।
धर्मेंद्र प्रसाद सिंह को लिया गोद
महाराजा पाटेश्वरी प्रसाद सिंह के निधन के बाद महारानी राजलक्ष्मी कुमारी देवी ने अवयस्क महाराज धर्मेंद्र प्रसाद सिंह की वयस्कता तक राज का कार्यभार संभाला। 1976 को अपने पुत्र धर्मेन्द्र प्रसाद सिंह के वयस्क होते ही राज का समस्त कार्य सौप कर धार्मिक कार्यो में व्यस्त हो गयी और 1999 में साकेतवासी हो गयी। बलरामपुर के गौरवशाली राजवंशज महाराजा धर्मेंद्र प्रसाद सिंह का जन्म बहराईच जिले के गंगवल स्टेट के राजा कुंवर भरत सिंह के घर वर्ष 1958 में हुआ था। बलरामपुर के महाराज सर पाटेश्वरी प्रसाद सिंह की कोई संतान न होने के कारण उन्होंने धर्मेंद्र प्रसाद सिंह को गोद ले लिया था। वर्ष 1964 में महाराजा सर भगवती प्रसाद सिंह के स्वर्गवास के बाद धर्मेंद्र प्रसाद सिंह का राजतिलक कर उन्हे महाराज घोषित कर दिया गया था और तब से अब तक बलरामपुर स्टेट उन्हीं के अधीन था। महाराजा धर्मेंद्र प्रसाद सिंह के एक पुत्र कुंवर जयेंद्र प्रताप सिंह और एक पुत्री कुंवर विजय श्री हैं। महाराज सर धर्मेंद्र प्रसाद सिंह का विवाह 1980 में नेपाल के जंग बहादुर राणा की पुत्री महारानी बंदना राजलक्ष्मी के साथ हुआ था और 29 दिसंबर 1980 में उन्हें पुत्र रत्न की प्राप्ति हुई जिनका नाम जयेंद्र प्रताप सिंह रखा गया । 21 अप्रैल 1984 में पुत्री महाराज कुंवर विजय श्री का जन्म हुआ।