बलरामपुर।
कथा के आयोजक श्री देवी पाटन मिथलेश नाथ जी महाराज पूजन कर एवं कलश यात्रा को रवाना किया।
श्री व्यासपीठ की विधिवत पूजा पाठ कर किया एवम् कथा वाचक संत सर्वेश जी महराज को अंगवस्त्र भेंट कर आशीर्वाद लिया।
कथा के प्रथम दिन अयोध्या धाम से आए प्रेम मूर्ति युवा संत सर्वेश जी महाराज ने कहा कि एक बार राम कथा सुनने शिव जी कैलाश मानसरोवर से तमिल नाडु कुंभज ऋषि के आश्रम गए और साथ में सती जी को लेकर गए तुलसी बाबा ने श्री रामचरितमानस में लिखा है कि एक बार त्रेता जुग माही संभू गए कुंभज रिशपाहि संघ सती जग जननी भवानी पुजे ऋषि अखिलेश्वर जानी और जब कथा महात्मा जी ने गाई तो केवल शिवजी ने सुनी सती जी ने नहीं सुनी उनको संदेह हो गया और जब उनके मन में तर्क आया तो शिवजी को अच्छा नहीं लगा शिव जी ने कहा अगर रामजी में विश्वास नहीं है तो जाकर परीक्षा ले लो लेकिन जब सती जी परीक्षा के लिए गई तो सीता का वेश धारण की जिससे भोलेनाथ जान गए और उसी कारण से उनका त्याग कर दिया और फिर दक्ष प्रजापति के यज्ञ में उनका जलना हुआ दोबारा सती जी का जन्म पार्वती के रूप में राजा हिमांचल माता महीना के उधर से हुआ।
एवम् कथा उपरांत आरती कर आज की कथा का समापन हुआ,इसी क्रम में सभी श्रद्धालुओं ने भोजन प्रसाद पंडाल में प्रसाद पाया।
उक्त अवसर पर राकेश सिंह जी (पूर्व जिला अध्यक्ष)आयोजक डॉ.धीरेन्द्र प्रताप सिंह धीरू ,भाजपा, जन्मेजय सिंह,डी पी सिंह बैस, राम प्रसाद सिंह जी, मनीष सिंह शुभेंद्र मिश्र (गौरव), अभिषेक सिंह सुजीत सिंह शिवम जी सहित सैकड़ों भक्त माताएं बहनें उपस्थित रही।