बलरामपुर। जिले की महिलाएं अब सिर्फ घर की चारदीवारी तक सीमित नहीं हैं, बल्कि वे पुरुषों के साथ कंधे से कंधा मिलाकर परिवार की आर्थिक स्थिति को मजबूत कर रही हैं। महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी योजना (मनरेगा) के तहत बलरामपुर की महिलाएं गांवों के विकास में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रही हैं। वित्तीय वर्ष 2024-25 में जिले की 793 ग्राम पंचायतों में करीब 37.90 लाख दिन का काम करके 63 हजार से अधिक महिलाओं ने 89.83 करोड़ रुपये की कमाई की है। इससे न सिर्फ महिलाओं को आत्मनिर्भरता मिली है, बल्कि उनके परिवारों को भी आर्थिक मजबूती मिली है। बलरामपुर जिले की 793 ग्राम पंचायतों में कुल 86,979 महिला श्रमिक मनरेगा में पंजीकृत हैं। इनमें से 63,175 महिलाएं सक्रिय रूप से काम कर रही हैं। ये महिलाएं खेतों और निर्माण कार्यों में फावड़ा और डलिया उठाकर कड़ी मेहनत कर रही हैं। इस वर्ष इन महिलाओं ने लगभग 37.90 लाख दिन का काम पूरा किया है, जिससे उन्हें 89.83 करोड़ रुपये का मेहनताना मिला है। इससे महिलाओं को आर्थिक आत्मनिर्भरता मिली है और उनके परिवारों के पुरुष सदस्य भी आर्थिक रूप से सशक्त हो रहे हैं। अब तक मनरेगा के कार्यों की निगरानी रोजगार सेवक करते थे, लेकिन शासन ने महिला सशक्तीकरण को बढ़ावा देने के लिए इस जिम्मेदारी को महिलाओं को सौंपा है। इसके तहत हर ग्राम पंचायत में एक महिला मेट की तैनाती की गई है। बलरामपुर जिले की 794 ग्राम पंचायतों में से 1,001 ग्राम पंचायतों में महिला मेट तैनात हो चुकी हैं। तुलसीपुर ब्लॉक में सबसे अधिक 148 महिला मेट तैनात की गई हैं, जबकि पचपेड़वा में 143 और उतरौला में 70 महिला मेट हैं। इसी तरह अन्य ब्लॉकों में भी महिला मेट की तैनाती की गई है। महिला मेट का काम न केवल काम की निगरानी करना है, बल्कि महिलाओं को काम के प्रति जागरूक बनाना और उनकी समस्याओं का समाधान भी करना है। इससे महिलाओं में आत्मविश्वास बढ़ा है और वे अपने अधिकारों के प्रति जागरूक हो रही हैं।
मनरेगा में महिलाओं की सक्रिय भागीदारी
जिले के विभिन्न ब्लॉकों में काम करने वाली महिलाओं की संख्या की बात करें तो तुलसीपुर में 9559, गैसड़ी में 7798, पचपेड़वा में 11019, श्रीदत्तगंज में 3369, उतरौला में 3708, गैड़ास बुजुर्ग में 3869, रेहरा बाजार में 6217, बलरामपुर में 6936 और हरैया सतघरवा में 10700 महिलाएं काम कर रही हैं। मनरेगा के माध्यम से महिलाओं को न केवल आर्थिक रूप से सशक्त बनाया जा रहा है, बल्कि उन्हें नेतृत्व करने का भी अवसर दिया जा रहा है। महिला मेट के रूप में महिलाओं को ग्राम पंचायतों में कार्यों की निगरानी का अधिकार देकर उन्हें निर्णय लेने की शक्ति दी गई है।
इसे पढ़े:घूसखोरों पर कसेगा शिकंजा
इसे पढ़े:तीन शातिर चोर सलाखों के पीछे