अकबरनगर में अनधिकृत निर्माणों पर बुलडोजर की होगी नजर, सुप्रीम कोर्ट ने हस्तक्षेप को इनकार किया
अकबरनगर: अकबरनगर क्षेत्र में अनधिकृत निर्माणों के खिलाफ लखनऊ विकास प्राधिकरण की तरफ से की जा रही तोड़फोड़ की कार्रवाई में सुप्रीम कोर्ट ने हस्तक्षेप से मना किया है। बीते दिन यानी शुक्रवार को सुप्रीम कोर्ट ने लखनऊ के अकबरनगर क्षेत्र में अनधिकृत निर्माणों के खिलाफ लखनऊ विकास प्राधिकरण की तरफ से की जा रही तोड़फोड़ की कार्रवाई में हस्तक्षेप से मना कर दिया। हाई कोर्ट के फैसले पर सहमती जताई है।
सुप्रीम कोर्ट के न्यायमूर्ति संजीव खन्ना और न्यायमूर्ति दीपांकर दत्ता की पीठ ने इस मामले की सुनवाई करते हुए कहा कि हम इलाहाबाद हाई कोर्ट के उस आदेश और टिप्पणियों में किसी तरह कोई हस्तक्षेप नहीं कर रहे हैं, जिसमें अकबरनगर में विध्वंस और बेदखली की कार्रवाई को सही ठहराया गया था। सुप्रीम कोर्ट ने आगे कहा कि हम इस केस में इलाहाबाद हाई कोर्ट की तरफ से दिए गए फैसले से सहमत हैं कि प्रभावित कॉलोनी का निर्माण बाढ़ क्षेत्र में किया गया है।
यूपी सरकार की तरफ से अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल केएम नटराज ने पीठ को बताया कि इस कॉलोनी में रहने वाले लोगों के पुनर्वास और वैकल्पिक आवास के मुहैया कराने के लिए 1818 आवेदन मिले हैं। जांच के बाद इन आवेदको में 1032 को वैकल्पिक आवास के लिए योग्य पाया गया है।
मामले में सुनवाई करते हुए शीर्ष अदालत ने पुनर्वास के लिए वैकल्पिक आवास मुहैया कराने के लिए निवासियों की तरफ से भुगतान की जाने वाली रकम को लेकर कहा कि इलाहाबाद हाई कोर्ट के आदेशों के अनुसार, 15 वर्षों की अवधि में 4.79 लाख का भुगतान होना है। सुप्रीम कोर्ट ने यूपी सरकार और लखनऊ विकास प्राधिकरण को अन्य डूब क्षेत्र में अनधिकृत निर्माण के बारे में सर्वे कर तीन माह में उच्च न्यायालय के समक्ष हलफनामे के साथ विवरण दाखिल करने का निर्देश दिया।