सद्भावना आवाज़
लखनऊ।
उत्तर प्रदेश में अंगूर की खेती के लिए दो प्रमुख प्रजातियों “फ्लेम सीडलेस” और “पूसा नवरंग” के लाभकारी गुण अब किसानों के बीच चर्चा का विषय बन चुके हैं। केंद्रीय उपोष्ण बागवानी संस्थान के शोधकर्ताओं के अनुसार, ये प्रजातियाँ न केवल स्थानीय कृषि जलवायु के लिए अनुकूल हैं, बल्कि बाजार की मांगों को भी पूरा करती हैं। फ्लेम सीडलेस प्रजाति की अंगूर की किस्म खासकर खाने के लिए आदर्श मानी जाती है। इसकी विशेषता यह है कि इसके अंगूर बिना बीज के होते हैं, जो इसे ताजे खाने के लिए बहुत ही उपयुक्त बनाते हैं। इसके फल मीठे और कुरकुरे होते हैं, जो उपभोक्ताओं के बीच लोकप्रिय हैं। इसके विपरीत, पूसा नवरंग की प्रजाति जूस, जैम और जेली बनाने के लिए विशेष रूप से लाभकारी है। केंद्रीय उपोष्ण बागवानी संस्थान के पूर्व निदेशक सीएस राजन के अनुसार, इस प्रजाति में जूस उत्पादन की उत्कृष्ट क्षमता है। इसका रस प्रोफ़ाइल इसे क्षेत्र के लिए फ्लेम सीडलेस के बाद दूसरी सबसे उपयुक्त किस्म बनाता है।
