बलरामपुर।
नगर के प्रतिष्ठित महारानी लाल कुंवरि पीजी कॉलेज में राष्ट्रीय संगोष्ठी का आयोजन हुआ, जिसका विषय इंटेलेक्चुअल प्रॉपर्टी राइट्स एवं रिसर्च एथिक्स था। आज इस संगोष्ठी का दूसरा एवं अंतिम दिन था, जिसमें देश के कई विश्वविद्यालयों के विद्वानों ने हिस्सा लिया और इस संगोष्ठी के माध्यम से इसके प्रमुख विषय पर अपना पक्ष रखा। प्रमुख वक्ता डॉ मनमोहन कृष्ण पूर्व विभागाध्यक्ष अर्थशास्त्र विभाग, इलाहाबाद विश्वविद्यालय एवं राजू तिवारी पेटेंट अधिकारी, भारत सरकार, अश्वनी मिश्रा क्षेत्रीय उच्च अधिकारी, गोरखपुर, डॉ रंजन बसक रसायन शास्त्र विभाग किसान पीजी कॉलेज, बस्ती, डॉ प्रशांत शुक्ला, उत्तराखंड, डॉ अरुण कुमार मौर्य, गाजियाबाद, डॉ राजेश नायक जेपी विश्वविद्यालय, बिहार रहे। इनमें ऑनलाइन माध्यम से उपस्थित रहे तमाम विद्वानों ने भी अपने व्याख्यान सबके सामने रखें।
डॉक्टर टी पारखी ने बताया कि इसमें लगभग 600 बच्चों ने देश के अलग-अलग हिस्सों से हिस्सा लिया और लगभग 50 बच्चों ने अपने शोध पत्रों को ऑनलाइन या ऑफलाइन माध्यम से सबके समक्ष रखा। इस कॉन्फ्रेंस में कॉन्फ्रेंस के संयोजक डॉ सद्गुरु प्रकाश ने प्रोसिडिंग छपवाने में विशेष योगदान दिया। डॉ कृष्णा ने विषय पर बोलते वक्त बताया कि पेटेंट किसी देश द्वारा किसी खोजकर्ता को या उसके द्वारा नामित व्यक्ति को उसकी खोज को सार्वजनिक किए जाने के बदले दिए जाने वाले अन्य अन्य अधिकारों को कहते हैं। इसे एक निर्धारित समय के लिए ही दिया जाता है। इस प्रकार व्यक्ति का कोई भी अनुसंधान सीडी, डीवीडी या किसी भी माध्यम से सुरक्षित हो तो उसको स्वतः ही उसका कॉपीराइट मिल जाता है। अन्य वक्ताओं ने इस विषय पर बोलते हुए बताया कि शोध में सदैव नैतिकता का ध्यान रखना चाहिए व नियम से कार्य करना चाहिए।