प्रतापगढ़ जिले के लालगंज दीवानी कोर्ट में बांग्लादेश सरकार के कार्यवाहक प्रमुख मो. युनुस के खिलाफ एक गंभीर परिवाद दाखिल किया गया है। यह परिवाद बांग्लादेश में हिंदू अल्पसंख्यकों पर हो रहे हिंसक हमलों और मंदिरों की तोड़फोड़ से संबंधित है। परिवाद में याचिकाकर्ता ने बांग्लादेश सरकार के कार्यवाहक प्रमुख को इन घटनाओं के लिए जिम्मेदार ठहराया और उनके खिलाफ आपराधिक कार्रवाई की मांग की है। कोर्ट ने मामले की सुनवाई के लिए आगामी 21 दिसंबर की तिथि तय की है।इस मामले को लेकर श्रीरामचरितमानस राष्ट्रीय ग्रंथ संरक्षा अभियान समिति के संयोजक ज्ञानप्रकाश शुक्ल ने बांग्लादेश में हो रही हिंसा के खिलाफ आवाज उठाई। याचिका में आरोप लगाया गया है कि कट्टरपंथी तत्वों द्वारा हिंदू देवी-देवताओं की मूर्तियों को क्षतिग्रस्त किया जा रहा है और बांग्लादेश में अल्पसंख्यक हिंदुओं और भारतीयों के खिलाफ हिंसक हमलों की घटनाएं लगातार बढ़ रही हैं। शुक्ल ने इन घटनाओं को सनातन आस्था पर हमला बताते हुए बांग्लादेश सरकार के खिलाफ कानूनी कार्रवाई की अपील की है।
अधिवक्ताओं का आक्रोश
बांग्लादेश में हिंदुओं पर हो रहे हमलों की खबर के बाद, प्रतापगढ़ के कोर्ट परिसर में अधिवक्ताओं ने गहरी चिंता और आक्रोश व्यक्त किया। संयुक्त अधिवक्ता संघ के अध्यक्ष संदीप सिंह के नेतृत्व में वकीलों ने बांग्लादेश सरकार के खिलाफ नारेबाजी की और इस तरह की घटनाओं पर कड़ी प्रतिक्रिया व्यक्त की। उन्होंने कहा कि ऐसे मामलों में बांग्लादेश सरकार को कड़ी सजा मिलनी चाहिए, ताकि अल्पसंख्यकों के खिलाफ होने वाले हमलों पर लगाम लगे।
21 दिसंबर को होगी कोर्ट में सुनवाई
सिविल जज अरविंद सिंह ने मामले को प्रकीर्ण वाद में दर्ज करते हुए 21 दिसंबर को इसकी सुनवाई तय की है। याचिका में बांग्लादेश की पूर्व प्रधानमंत्री शेख हसीना के उस बयान का भी उल्लेख किया गया है, जिसमें उन्होंने मो. युनुस को इन हिंसक घटनाओं का मुख्य जिम्मेदार ठहराया था। अदालत अब इस मामले में अगले कदम का निर्धारण करेगी और संबंधित अधिकारियों से कार्रवाई की रिपोर्ट मांगी जाएगी।