बलरामपुर। गुरुवार को मुख्य चिकित्सा अधिकारी कार्यालय के सभागार में राष्ट्रीय सर्पदंश नियंत्रण कार्यक्रम के तहत जिले के चिकित्सा अधिकारियों, स्टाफ नर्सों, फार्मासिस्टों और बीसीपीएम को सर्पदंश से बचाव और उपचार के लिए प्रशिक्षित किया गया। मुख्य चिकित्सा अधिकारी डॉ. मुकेश कुमार रस्तोगी की अध्यक्षता में आयोजित इस कार्यक्रम में राज्य मास्टर ट्रेनर डॉ. सौरभ गुप्ता ने प्रस्तुतीकरण के माध्यम से सर्पदंश के लक्षण, उपचार और प्रोटोकॉल पर विस्तार से जानकारी दी। उन्होंने बताया कि सर्पदंश के बाद दर्द, सूजन, त्वचा का रंग बदलना, उल्टी, खून का बहना और सांस लेने में दिक्कत जैसे लक्षण नजर आते हैं, जिनके आधार पर तुरंत उपचार शुरू करना चाहिए।
ग्रामीण क्षेत्रों में जागरूकता बढ़ाने की अपील
डॉ. रस्तोगी ने कहा कि सर्पदंश के मरीज को 100 मिनट के भीतर अस्पताल पहुंचाकर सही इलाज दिया जाए तो उसकी जान बचने की संभावना 100 प्रतिशत रहती है। उन्होंने यह भी स्पष्ट किया कि सभी सांप जहरीले नहीं होते और जहरीले सांपों के काटने के मामलों में भी केवल 50 प्रतिशत जहर शरीर में फैलता है। इस अवसर पर डॉ. अनिल कुमार चौधरी, अरविंद मिश्रा, शिवेंद्र मणि त्रिपाठी और डॉ. श्याम जी श्रीवास्तव सहित कई वरिष्ठ अधिकारी मौजूद रहे। प्रशिक्षण के माध्यम से ग्रामीण क्षेत्रों में जागरूकता बढ़ाने और सर्पदंश से होने वाली मौतों को रोकने पर जोर दिया गया।