बलरामपुर। खरझार नाले का पानी रविवार को गांवों में कम हुआ है। पानी तो राप्ती नदी में चला गया, लेकिन 22 गांवों में जलभराव, कीचड़ और गंदगी से लोगों का जीना मुहाल हो गया है। क्षेत्र के रामगढ़ मैटहवा, महुवारी, सोहेलवा, बसंतपुर और आसपास के गांवों में खेत से लेकर घरों तक शुक्रवार को पानी घुस गया था। कई जगहों पर हालात ऐसे रहे कि ग्रामीणों को नाव और ट्रैक्टर की मदद से निकलना पड़ा।शनिवार की रात तक पानी नदी की ओर बह गया, लेकिन गांवों में जलभराव और गंदगी ने ग्रामीणों की परेशानी बढ़ा दी है। ग्राम रामगढ़ मैटहवा निवासी कलाम हुसैन ने बताया कि शनिवार सुबह से देर शाम तक पूरा गांव पानी में डूबा रहा। घरों के आंगन और गलियों में कमर तक पानी भर गया था। लोग घंटों घरों में कैद रहे।
गांव में महामारी फैलने का बढ़ गया डर
रविवार को पानी तो उतर गया, लेकिन कीचड़ और गंदगी से गांव में महामारी फैलने का डर बढ़ गया है।शनिवार को ही उप जिलाधिकारी तुलसीपुर राकेश कुमार जयंत बाढ़ प्रभावित गांव का निरीक्षण करने पहुंचे। इस दौरान जब ग्रामीण बड़कऊ ने हर साल नाले का पानी भरने से तबाही की समस्या उठाई, तो एसडीएम भड़क गए। उन्होंने कहा कि यहां तो बाढ़ आई ही नहीं है। ग्रामीणों का कहना है कि अफसर की यह टिप्पणी उनकी पीड़ा पर नमक छिड़कने जैसी है। ग्रामीणों ने कहा कि हर साल नाले का पानी गांवों में घुसकर तबाही मचाता है, लेकिन प्रशासन केवल दौरा करके लौट जाता है।