बलरामपुर। महराजगंज तराई के खरझार पहाड़ी नाले में बीते शुक्रवार को अचानक आए बाढ़ के पानी से रामगढ़ मैटहवा गांव के खेत जलमग्न हो गए। रविवार को जलस्तर में थोड़ी कमी आई और ग्रामीणों को कुछ राहत मिली, लेकिन नुकसान और परेशानियां कम नहीं हुई हैं। नाले के पास का करीब 50 मीटर लंबा तटबंध भी बह गया, जिससे गांव के खेतों की ओर पानी का रुख तेज हो गया।किसानों की गन्ने और अरहर की फसलें पूरी तरह पानी में डूब गई हैं। नूरुल सलाम की पांच बीघा, राजित वर्मा की एक बीघा, सियाराम और दुर्गा की दो-दो बीघा, जगराम की दो बीघा अरहर, ननकऊ की तीन बीघा गन्ना और बच्चूलाल की लगभग चार बीघा गन्ने की फसल बर्बाद हो गई। किसान महीनों की मेहनत और हजारों रुपये की लागत बर्बाद होने से चिंतित हैं और आने वाले सीजन की बुवाई को लेकर भी परेशान हैं।
किसानों की मेहनत पर फिरा पानी
ग्रामीणों ने प्रशासन से प्रभावित किसानों को मुआवजा देने और टूटे तटबंध की तत्काल मरम्मत कराने की मांग की है। उनका कहना है कि अगर समय पर कार्य नहीं हुआ तो अगले वर्ष की बारिश में और बड़े पैमाने पर नुकसान हो सकता है। वहीं जिला प्रशासन ने कहा है कि स्थिति नियंत्रण में है और बाढ़ का खतरा फिलहाल नहीं है। तटबंध की मरम्मत का प्रस्ताव तैयार करने के निर्देश बाढ़ कार्य खंड विभाग को दिए जा चुके हैं और किसानों के नुकसान का आकलन कराया जा रहा है।