इसके लिए गोरखपुर जेल में एक नई पहल की गई है। यहां जेल में बंद महिलाओं को ब्यूटीशियन, ज्वेलरी मेकिंग और टेराकोटा वर्क की ट्रेनिंग दी जा रही है। महिलाओं को ट्रेनिंग देने के लिए गोरखपुर जेल प्रशासन से ‘अपना ट्रस्ट’ संस्था से टाइअप किया गया है।महिलाओ को आत्मनिर्भर बनेंगी सरकार।
सोमवार को इस ट्रेनिंग की शुरुआत भी जेल में हो गई। पहले दिन महिला बंदियों ने टेराकोटा की मूर्तियों पर डिजाइन करना सीखा।
25% महिलाओं से कोई भी मिलने नहीं आता
स्वेच्छा ने बताया, जेल में उन्होंने 200 महिला बंदियों की काउंसिलिंग की। इससे पता चला कि करीब 25% महिलाओं से कोई मिलने ही नहीं आता है, उनका केस लड़ने के लिए कोई वकील भी नहीं है। 70% महिलाएं जेल में गरीब तबके से आती हैं। जिन्हें अपना खर्च चलाने में मुश्किल आती है। इससे महिलाएं मानसिक तनाव में रहती हैं।
स्वेच्छा ने एक अभियान के रूप में ये कदम उठाया गया है। जेल में बंद महिला बंदी को सबसे पहले टेराकोटा की मूर्तियों पर पेटिंग करना सीखाया जा रहा है। पेंटिंग के बाद इस मूर्ति को जेल प्रोडक्ट के रूप में जाना जाएगा। इससे जो भी कमाई होगी, उसका फायदा महिला बंदियों को मिलेगा। यही नहीं जेल से छूटने के बाद वो बाहर जाकर भी आत्मनिर्भर बन सकेंगी।
सोमवार को महिलाओं को टेराकोटा की मूर्तियों को रंगना, उनपर जरी, मोती के कार्य करना सीखाया गया है। स्वेच्छा ने बताया कि बहुत सी महिलाएं ब्यूटीशियन की कला में एक्सपर्ट होना चाहती हैं। उन्हें ब्यूटीशियन और मेहंदी लगाने की ट्रेनिंग दी जाएगी। वहीं टेराकोटा की ज्वेलरी बनाना भी सीखाया जाएगा।
स्वेच्छा श्रीवास्तव ने बताया कि हमारी टीम में दो एक्सपर्ट हैं जो गोरखपुर यूनिवर्सिटी में फाइन आर्ट MA लास्ट इयर की स्टूडेंट हैं। DDU की निशा साहनी और महिमा जेल में बंद महिलाओं को ट्रेनिंग दे रही हैं। ट्रेनर का कहना है कि सीखने के बाद महिला बंदियों को दूसरे के सामने हाथ नहीं फैलाना पड़ेगा।
अंतराष्ट्रीय महिला दिवस को देखते हुए जेल में इसकी शुरुआत की गई है। ट्रस्ट की स्वेच्छा श्रीवास्तव ने बताया कि महिला बंदियों की पहले काउंसिलिंग की गई है। इसमे देखा गया कि महिला बंदियों का इंट्रेस्ट किस तरफ जा रहा है, इसके बाद ट्रेनिंग की शुरूआत की गई है। ये ट्रेनिंग तीन महीने चलेगी। इस दौरान महिलाओं को टेराकोटा वर्क, ब्यूटीशियन और टेराकोटा की ज्वेलरी बनाना सिखाया जाएगा।
जेल सुप्रिटेंडेंट ओपी कटियार ने बताया, जेल में महिलाओं को आत्मनिर्भर बनाने के लिए एक संस्था से टाइअप हुआ है। सोमवार को पहले दिन महिला बंदियों को टेराकोटा की मूर्तियों पर पेटिंग करना सीखाया गया। इस हुनर को सीखने के बाद महिलाएं बाहर भी जाकर अपने पैर पर खड़ी हो सकेंगी।