देश के विभिन्न राज्यों में तेजी से बढ़ते इन्फ्लुएंजा के मामले चिंताजनक हैं मौसम के मिजाज में अचानक हो रहे बदलावों के चलते सर्दी -गर्मी की स्थिति पैदा हो रही है, जिस कारण इन्फ्लुएंजा के एच3एन2 वायरस का प्रभाव बढ़ रहा है। इसके लक्षण कोरोना वायरस जैसे ही हैं।
इस वर्ष देश में अब तक एच3एन2 समेत विभिन्न फ्लू से संक्रमित तीन हजार से ज्यादा मरीज मिले हैं। इनमें से 1,245 मरीज जनवरी में मिले थे। फरवरी में 1,307 और 1 से 9 मार्च तक 486 मरीज मिले हैं।अस्पतालों में मरीजों की संख्या लगातार बढ़ रही है। स्वास्थ्य विभाग के आंकड़े भी दे रहे हैं।
हरियाणा और कर्नाटक में एक-एक मरीज की मौत हुई है। इसके अलावा स्वास्थ्य केंद्रों से प्राप्त आईडीएसपी-आईएचआईपी (एकीकृत स्वास्थ्य सूचना प्लेटफॉर्म) के आंकड़ों के मुताबिक जनवरी 2023 के दौरान देश में तीव्र श्वसन रोग/इन्फ्लुएंजा जैसे रोग (एआरआई/आईएलआई) के कुल 3,97,814 मामले सामने आए थे, जो फरवरी, 2023 में बढ़कर 4,36,523 हो गए। मार्च, 2023 के पहले 9 दिनों में यह आंकड़ा 1,33,412 है। केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय रियल टाइम के आधार पर आईडीएसपी नेटवर्क के जरिए राज्यों में मामलों की निगरानी और ट्रैकिंग कर रहा है। इसके अलावा स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्रालय ने एच1एन1 मामलों से निपटने वाले स्वास्थ्य देखभाल कर्मियों के टीकाकरण के लिए भी राज्य सरकारों को सलाह दी है।
रोकथाम के लिए सावधानियों पर आईसीएमआर द्वारा एडवाइजरी जारी की गई है। स्वास्थ्य मंत्रालय ने राज्यों को पर्याप्त स्वास्थ्य सुरक्षा तैयारियां करने के निर्देश जारी कर दिए हैं। आईसीएमआर ने संक्रमण रोकने के लिए वही उपाय बताए हैं जो कोरोना से बचाव के दौरान तय किए गए थे।
आईसीएमआर के अनुसार कमजोर इम्युनिटी वाले लोगों के लिए यह एक चुनौती है। लोगों को साफ-सफाई रखने, भीड़-भाड़ वाले स्थानों से बचने व मास्क के प्रयोग की सलाह भी दी जा रही है। भले ही इन्फ्लुएंजा के विषाणु का प्रभाव सामान्य मौसमी खांसी, जुकाम, बुखार जैसा लग रहा हो, पर उसे नजरअंदाज करने की बिल्कुल जरूरत नहीं। विशेषज्ञों के अनुसार मार्च के अंत तक मौसमी इन्फ्लुएंजा के मामलों में कमी आने की उम्मीद है। फिर भी विषाणु से बचाव के लिए सतर्कता बरतना आवश्यक है। बल्कि इससे भयभीत होने की जरूरत नहीं है। स्वास्थ्य विभाग लोगों से सावधान रहने और बचाव के तरीके अपनाने की अपील कर रहा है। मौसमी इन्फ्लुएंजा के एच3एन2 सबटाइप के मामलों की कड़ी निगरानी की जा रही है।