लखनऊ।
रोडवेज कर्मचारियों की हड़ताल करीब 33 घंटे बाद खत्म हुई। मंत्री दयाशंकर सिंह ने कर्मचारी नेताओं से मिलकर मामले में जांच करते हुए दोषी अधिकारी के खिलाफ कार्रवाई करने का आश्वासन भी दिया है। गुरुवार सुबह शुरू हुई हड़ताल शुक्रवार शाम 5 बजे तक चली। हालांकि उसके बाद भी पर्याप्त बसों का संचालन नहीं हो पाया था।यात्रियों को परेशानी को देखते हुए शासन स्तर से परिवहन विभाग के आला अधिकारियों को फटकार लगाई गई। इसके बाद आनन-फानन में मुख्य प्रधान प्रबंधक टेक्निकल ने कर्मचारियों से वार्ता कर चक्का जाम को खत्म कराया। इसमें तय किया गया कि 36 कर्मियों पर की गई कार्रवाई वापस ली जाएगी उसके बाद सोमवार को एमडी की मौजूदगी में वार्ता होगी। वार्ता में परिवहन निगम संविदा कर्मचारी संघर्ष यूनियन के महामंत्री कन्हैया पांडेय, संयोजक जमाल अहमद, श्रमिक समाज संघ के वरिष्ठ उपाध्यक्ष रामराज विश्वकर्मा मुख्य रूप से मौजूद रहे।
1047 बसों को नहीं हो पाया संचालन
दयाशंकर सिंह ने कर्मचारी नेताओं को देर रात 9 बजे बैठक के लिए बुलाया। कर्मचारी नेता कन्हैया लाल पांडेय ने बताया कि परिवहन मंत्री ने वार्ता के दौरान क्षेत्रीय प्रबंधक को हटाने सहित कर्मचारी की मांगों पर अति शीघ्र सकारात्मक परिणाम देने का आश्वासन दिया।वार्ता में दिनेश पांडेय,अनूप मिश्रा,केपी सिंह राजेश शुक्ला,नवीन श्रीवास्तव आदि नेता मौजूद थे।लखनऊ में कैसरबाग, आलमबाग, चारबाग और अवध बस डिपो पर शुक्रवार सुबह पहुंचने वाले यात्रियों को निराशा हुई। क्योंकि, इन डिपो से बसों का संचालन ठप रहा। गुरुवार को हुए प्रदर्शन में भी कुल 93 बस रद्द करनी पड़ी थीं। इसमें कैसरबाग से सीतापुर के रास्ते दिल्ली रूट, गोंडा, बलरामपुर, बहराइच, रूपेडीहा, गोरखपुर, सहारनपुर, झांसी, मेरठ रूट की बसें निरस्त होने पर यात्रियों को साधारण बसों से सफर करना पड़ा था। लेकिन, शुक्रवार को सामान्य बसें का संचालन भी ठप रहा।ऐसे में शुक्रवार को समस्या ज्यादा बढ़ गई। हड़ताल को खत्म करने के लिए मुख्य प्रधान प्रबंधक प्रशासन राम सिंह वर्मा, सीजीएम टेक्निकल रविंद्र सिंह, प्रधान प्रबंधक संचालन के साथ आरएम हटाने की मांग को लेकर वार्ता भी हुई। लेकिन उनकी यह मांग पूरी नहीं हुई और कर्मचारियों ने हड़ताल जारी रखी।