धीरेंद्र प्रताप सिंह
प्रतापगढ़ उत्तर प्रदेश के छोटे से गांव बोधई का पुरवा ने वो गौरव हासिल किया है जो किसी बड़े शहर को भी रौशन कर दे। गांव के सपूत अविनाश सिंह तोमर ने बॉलीवुड में अपनी जगह बनाकर पूरे जिले का नाम रोशन कर दिया है। अविनाश चर्चित फिल्म द साबरमती रिपोर्ट के पटकथा लेखक हैं, जिसने न सिर्फ आलोचकों से वाहवाही बटोरी है, बल्कि बॉक्स ऑफिस पर भी धमाल मचाया है।
गांव से मुंबई तक का सफर
अविनाश का जन्म प्रतापगढ़ जिले के जेठवारा थाना क्षेत्र के बोधई का पुरवा गांव में हुआ। उनके पिता वीरेंद्र पाल सिंह तोमर और परिवार ने शायद ही कभी सोचा होगा कि गांव का यह लड़का बॉलीवुड में नाम कमाएगा। अविनाश की प्रारंभिक पढ़ाई लखनऊ में हुई। पढ़ाई में अव्वल अविनाश का कैंपस सेलेक्शन आईटीसी कंपनी में हुआ, लेकिन नौकरी उन्हें संतुष्टि नहीं दे पाई।
सपनों की राह पर पहला कदम
नौकरी छोड़ने के बाद अविनाश ने साहित्य और लेखन की दुनिया में कदम रखा। इस दौरान उनकी मुलाकात मशहूर कवि कुमार विश्वास से हुई। कुमार विश्वास ने उनकी प्रतिभा को पहचाना और उन्हें अपने गुरु पीएन मिश्र से परिचित कराया। पीएन मिश्र के मार्गदर्शन ने अविनाश को पटकथा लेखन में आगे बढ़ने का हौसला दिया।
*द साबरमती रिपोर्ट* बनी मील का पत्थर
कड़ी मेहनत और अद्भुत कल्पनाशक्ति के दम पर अविनाश ने द साबरमती रिपोर्ट जैसी फिल्म की पटकथा लिखी, जिसने पूरे देश का ध्यान खींचा। फिल्म की कहानी सामाजिक मुद्दों पर आधारित है और इसका लेखन दर्शकों को गहराई तक प्रभावित करता है।
गांव में जश्न का माहौल
अविनाश की इस उपलब्धि पर उनका परिवार ही नहीं, बल्कि पूरा गांव गर्व महसूस कर रहा है। उनके चाचा अनंत सिंह तोमर ने कहा, “अविनाश ने साबित कर दिया कि छोटे गांव से बड़े सपने देखे जा सकते हैं। यह हमारे पूरे परिवार और गांव के लिए गर्व का पल है।” गांव के लोगों का कहना है कि अविनाश ने मेहनत और लगन से यह मुकाम हासिल किया है।
युवाओं के लिए प्रेरणा
अविनाश की सफलता न सिर्फ प्रतापगढ़, बल्कि हर छोटे गांव के युवाओं के लिए प्रेरणा है। उन्होंने दिखाया कि यदि सपने बड़े हों और मेहनत सही दिशा में की जाए, तो हर मुश्किल को पार किया जा सकता है। द साबरमती रिपोर्ट की सफलता ने यह साबित कर दिया है कि प्रतिभा किसी मंच की मोहताज नहीं होती। अविनाश सिंह तोमर की कहानी हमें यह सिखाती है कि सपनों को साकार करने के लिए सिर्फ साहस और समर्पण चाहिए।