बलरामपुर (उतरौला )। नगर के अधिकांश नालों की हालत बद से बदतर हो चुकी है। जगह-जगह नालों में सिल्ट और कचरे का अंबार लगा हुआ है, जिससे जल प्रवाह रुक गया है। इससे शहर के कई मोहल्लों में जल जमाव की समस्या बनी हुई है। हालत ये है कि जाड़े के मौसम में भी मच्छरों का प्रकोप कम नहीं हो रहा है।नगर के पुराने नालों की हालत सबसे खराब है। इनमें सालों से सफाई नहीं हुई है। नालों में प्लास्टिक की थैलियां, घरों का कचरा और कीचड़ जमा है। ईदगाह से लेकर तकिया तालाब तक बना नाला पूरी तरह से पट गया है। इसमें दो मोहल्लों का गंदा पानी निकलता है, लेकिन अब वह बहने के बजाय जमा हो रहा है।सामुदायिक स्वास्थ्य केन्द्र के पास से गुजरने वाला नाला सिल्ट से पूरी तरह भर गया है। इसके चलते अस्पताल के आसपास बदबू का माहौल है। मरीजों और उनके तीमारदारों को भारी परेशानी का सामना करना पड़ रहा है।
नाले पर कब्जे से बढ़ी मुसीबत
बस स्टेशन के पास हाटन तालाब तक जाने वाला नाला अतिक्रमण की चपेट में है। कई लोगों ने नाले पर पक्का निर्माण कर लिया है, जिससे सफाई में दिक्कत आती है। यही वजह है कि नाले की सफाई अधूरी रह जाती है और गंदगी बढ़ती जा रही है।
गुरुदयालडीह में रुक रहा है नालों का पानी
शहर के अधिकांश नाले गुरुदयालडीह होते हुए राप्ती नदी में मिलते हैं, लेकिन सिल्ट और गंदगी के कारण पानी वहीं जमीन पर ही ठहर जा रहा है। कीचड़ के कारण नाले का पानी नदी तक नहीं पहुंच पा रहा, जिससे शहर का पूरा गंदा पानी नालों में ही समा रहा है।
सिल्ट की सफाई साल में एक बार नहीं
नगर पालिका प्रशासन का दावा है कि साल में एक बार सिल्ट की सफाई कराई जाती है, लेकिन नगरवासी इससे संतुष्ट नहीं हैं। उनका कहना है कि नालों की सफाई कम से कम तीन बार होनी चाहिए। पटेलनगर, सुभाषनगर और अन्य मोहल्लों में मच्छरों की भरमार है, जिससे हर साल मलेरिया और डेंगू जैसी बीमारियां फैलती हैं।लोगों का कहना है कि नगर पालिका को इस गंभीर समस्या की ओर तुरंत ध्यान देना चाहिए। यदि समय रहते सफाई नहीं कराई गई, तो गर्मियों और बारिश में हालात और बिगड़ सकते हैं।