मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने रामकथा पार्क में 43वें रामायण मेले का शुभारंभ करते हुए कहा कि प्रभु श्रीराम के आदर्शों को आत्मसात कर देश सामाजिक और सांस्कृतिक एकता को सुदृढ़ कर सकता है। उन्होंने भारत के ऐतिहासिक संघर्षों का उल्लेख करते हुए सामाजिक एकता और सांस्कृतिक पुनर्जागरण पर जोर दिया।सीएम योगी ने कहा कि विभाजन की राजनीति और जातीय विद्वेष फैलाने वाले तत्व आज भी सक्रिय हैं। उन्होंने चेतावनी दी कि ऐसे लोगों की नीयत समाज को बांटने और कमजोर करने की है। “500 वर्षों पहले बाबर के सिपहसालारों ने जो किया, वही सोच आज भी बांग्लादेश और भारत में विभाजनकारी तत्वों में देखी जा सकती है।”मुख्यमंत्री ने जोर देकर कहा कि प्रभु राम के आदर्शों का अनुसरण करके ‘एक भारत-श्रेष्ठ भारत’ का सपना साकार होगा। उन्होंने बताया कि अयोध्या सिर्फ धार्मिक ही नहीं, बल्कि वैश्विक सांस्कृतिक केंद्र के रूप में उभर रही है।
“श्रीराम की प्रेरणा से कटुता का अंत संभव”
मुख्यमंत्री ने रामायण पर गहन शोध और अध्ययन की आवश्यकता पर बल दिया। उन्होंने रामायण मेला समिति को आश्वस्त किया कि सरकार अयोध्या के सांस्कृतिक और ऐतिहासिक महत्व को बढ़ाने के हर प्रयास में उनके साथ हैl योगी आदित्यनाथ ने कहा कि श्रीराम ने भारत को एकता के सूत्र में पिरोया। उन्होंने इतिहास का उदाहरण देते हुए कहा कि यदि हम जोड़ने की संस्कृति को अपनाते, तो भारत कभी गुलाम नहीं होता।

“जब एक फिट जमीन के लिए हो रहा है विवाद, राम के आदर्श हैं समाधान”
सीएम ने कहा कि वर्तमान में जमीन और संपत्ति के लिए परिवारों में विवाद हो रहे हैं। “रामायण के आदर्शों को अपनाने से समाज में शांति और सद्भाव लौटेगा,” उन्होंने कहा।
अयोध्या को बताया वैश्विक मार्गदर्शक
योगी आदित्यनाथ ने अयोध्या को विश्व के लिए मार्गदर्शक बताते हुए कहा कि यह भूमि राग-द्वेष से मुक्त है और मानवता को दिशा देने का काम कर रही है। उन्होंने रामायण मेले को ऐसे आयोजनों का प्रतीक बताया जो सांस्कृतिक एकता और आदर्शों को सुदृढ़ करते हैं।इस कार्यक्रम में संतों, धर्माचार्यों और राजनीतिक नेताओं की उपस्थिति ने इसे और भी महत्वपूर्ण बना दिया।
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