बलरामपुर। वक्फ संशोधन बिल को लेकर देशभर में मचे राजनीतिक और धार्मिक घमासान के बीच अब इस बिल की संवैधानिकता पर सवाल खड़े हो गए हैं। उत्तर प्रदेश से इस मामले में सुप्रीम कोर्ट में पहली याचिका दाखिल की गई है। यह याचिका समाजवादी पार्टी के नेता एवं उतरौला विधानसभा से पूर्व प्रत्याशी हसीब खान ने दाखिल की है।हसीब खान की ओर से यह याचिका सुप्रीम कोर्ट में एडवोकेट भास्कर आदित्य और एडवोकेट नितिन मिश्रा के माध्यम से दायर की गई है। याचिका में वक्फ संशोधन बिल को संविधान के मौलिक अधिकारों के विरुद्ध बताया गया है।मीडिया से बातचीत में हसीब खान ने कहा कि केंद्र सरकार द्वारा पारित वक्फ अमेंडमेंट बिल न केवल मुस्लिम समाज की संपत्तियों पर नियंत्रण का प्रयास है, बल्कि यह सभी धर्मों के धार्मिक ट्रस्टों की स्वायत्तता पर भी सीधा हमला है। उन्होंने कहा कि उन्हें भारत की न्यायपालिका पर पूरा भरोसा है और सुप्रीम कोर्ट से न्याय की उम्मीद है।
अन्य धार्मिक संस्थाओं में भी गहरी चिंता
इस विवादास्पद बिल को लेकर केवल मुस्लिम संगठन ही नहीं, बल्कि बौद्ध, सिख और ईसाई समुदाय की संस्थाओं ने भी गहरी चिंता जताई है। चर्चों, गुरुद्वारों और अन्य धार्मिक ट्रस्टों का कहना है कि यदि यह बिल लागू होता है तो धार्मिक संस्थाओं की संपत्ति और उनके प्रशासन पर सरकार का सीधा हस्तक्षेप हो सकता है।
संशोधन से वक्फ बोर्डों के अधिकारों में बदलाव
वक्फ संशोधन बिल में वक्फ बोर्डों के अधिकार और धार्मिक संपत्तियों के प्रबंधन से जुड़े कई अहम प्रावधानों में बदलाव किया गया है। इसका विरोध कर रहे संगठनों का आरोप है कि यह संशोधन धार्मिक स्वतंत्रता में हस्तक्षेप है और यह संविधान की भावना के विपरीत है।
जल्द शुरू होगी सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई
बताया जा रहा है कि सुप्रीम कोर्ट में दाखिल कुल 73 याचिकाओं पर जल्द ही सुनवाई की तारीख तय की जा सकती है। पूरे देश की निगाहें अब सर्वोच्च न्यायालय पर टिकी हैं, जहां यह तय होगा कि वक्फ अमेंडमेंट बिल संविधान की कसौटी पर खरा उतरता है या नहीं।