जिले में संचालित 233 गैर-मान्यता प्राप्त मदरसों की फंडिंग और संचालन की जांच अब तक नहीं हो पाई है। इन मदरसों की जांच के लिए अल्पसंख्यक कल्याण विभाग आतंकवाद निरोधक दस्ता (एटीएस) की टीम का इंतजार कर रहा है। विभागीय अधिकारी बताते हैं कि नवंबर में एटीएस के आने की बात सुनी गई थी, जिससे मदरसा संचालकों में अफरातफरी का माहौल बन गया था। हालांकि, एक महीने बाद भी टीम नहीं पहुंची, और इस कारण जांच में देरी हो रही है।जिले में कुल 695 मदरसे हैं, जिनमें से 462 को मान्यता प्राप्त है, जबकि 233 मदरसे बिना मान्यता के चल रहे हैं। इन अवैध मदरसों में फंडिंग के स्रोत की जांच की जानी है। यह पता लगाया जाना है कि इन मदरसों को कौन फंडिंग दे रहा है और क्यों इन्हें पंजीकरण की प्रक्रिया से बाहर रखा गया है। एटीएस को इन मदरसों के दस्तावेजों की जांच करनी है और यह भी देखना है कि ये मदरसे कब से चल रहे हैं।
अवैध छात्रावासों की भी होगी जांच
जिले में 100 से अधिक मदरसे ऐसे हैं, जिनमें अवैध रूप से छात्रावास चलाए जा रहे हैं। इन छात्रावासों की जानकारी स्थानीय अधिकारियों को नहीं थी, और कई मामलों में अप्रिय घटनाएं भी सामने आई हैं। तीन महीने पहले तुलसीपुर के एक मदरसे में अवैध छात्रावास में रहने वाले एक छात्र ने अपने सहपाठी की हत्या कर दी थी। इस मामले ने इन अवैध छात्रावासों की पोल खोल दी थी। अब एटीएस की जांच में इन अवैध छात्रावासों का भी खुलासा हो सकता है।
विभागीय अधिकारी भी सकते में
जिला अल्पसंख्यक कल्याण अधिकारी, यशवंत कुमार मौर्य ने कहा कि नवंबर में उन्हें निदेशक का पत्र मिला था, जिसमें एटीएस द्वारा जांच कराए जाने का निर्देश था। लेकिन एटीएस की टीम अभी तक जांच के लिए नहीं पहुंची। वह मानते हैं कि एटीएस मुख्य रूप से उन मदरसों की फंडिंग की जांच करेगा, जो बिना मान्यता के चल रहे हैं। यदि इन मदरसों को चंदा मिल रहा है, तो यह जांच की जाएगी कि वह चंदा किस स्रोत से आ रहा है।
स्थानीय लोगों की चिंता बढ़ी
स्थानीय नागरिक और मदरसा संचालक अब राहत महसूस कर रहे हैं, क्योंकि एटीएस की जांच में देरी हो रही है। हालांकि, जिले में इस मुद्दे पर चिंता बनी हुई है और लोग चाहते हैं कि जांच जल्द से जल्द पूरी हो ताकि मदरसों की फंडिंग और उनके संचालन की सही स्थिति सामने आ सके।