बलरामपुर (सोहेलवा )। सोहेलवा वन्य जीव प्रभाग के बनकटवा रेंज में स्थित खैरमान जलाशय पानी के लिए तरस रहा है। एक समय में यह जलाशय साल भर वन्य जीवों और किसानों की प्यास बुझाता था, लेकिन अब इसकी स्थिति दयनीय हो गई है। जलाशय और उसमें पानी लाने वाले रास्ते में भारी मात्रा में सिल्ट जमा हो गई है, जिसके कारण इस बार किसानों को सिंचाई के लिए मुश्किल से ही पानी मिल पाया।खैरमान जलाशय की बदहाल स्थिति का असर करीब 10 किलोमीटर की परिधि में रहने वाली लगभग 40 हजार की आबादी पर पड़ा है। जलाशय सूखने से किसान रबी और खरीफ की फसल की सिंचाई नहीं कर पा रहे हैं। सिंचाई के लिए पानी न मिलने से खेती प्रभावित हो रही है। वहीं, वन्यजीव भी पानी की तलाश में गांवों की ओर आ रहे हैं, जिससे मानव-वन्यजीव संघर्ष की स्थिति बन रही है।
1955-56 में हुआ था जलाशय का निर्माण
खैरमान जलाशय का निर्माण वर्ष 1955-56 में हुआ था। इसका रखरखाव अब सिंचाई विभाग के जिम्मे है। नेपाल की पहाड़ियों से बरसने वाला पानी इस जलाशय में एकत्र होता था। स्टेट वाइल्ड लाइफ बोर्ड की पूर्व सदस्य निहारिका सिंह ने बताया कि निर्माण के समय इसकी जल धारण क्षमता 5.037 मिलियन क्यूबिक मीटर थी, जो 2006 में घटकर 3.736 मिलियन क्यूबिक मीटर रह गई। वर्तमान में इसकी क्षमता नाममात्र की रह गई है। जलाशय को उसका पुराना गौरव दिलाने के लिए स्थानीय लोगों ने पहल शुरू की है। ग्रामीणों ने “खैरमान कृषक आजीविका एवं जल संचयन समिति” के बैनर तले इस मुद्दे पर आवाज बुलंद की है। स्टेट वाइल्ड लाइफ बोर्ड की पूर्व सदस्य निहारिका सिंह ने इस मामले को लेकर नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (NGT) को पत्र भी भेजा है। ग्रामीणों का कहना है कि अगर जल्द ही खैरमान जलाशय की सफाई और पुनरुद्धार के लिए ठोस कदम नहीं उठाए गए, तो आने वाले समय में जल संकट और भी गंभीर हो सकता है।
हार्ड एरिया घोषित है यह इलाका
यह क्षेत्र हरैया सतघरवा ब्लॉक का हिस्सा है, जिसे हार्ड एरिया घोषित किया गया है। यहां बोरिंग असफल रहती है, इसलिए किसान पूरी तरह वर्षा जल पर निर्भर रहते हैं। खैरमान जलाशय में पानी की उपलब्धता से वन्यजीवों और किसानों दोनों को राहत मिलती थी, लेकिन अब जलाशय के सूखने से स्थिति चिंताजनक हो गई है।
सरकार से समाधान की मांग
ग्रामीणों और किसानों ने सरकार से मांग की है कि खैरमान जलाशय की सफाई और गहरीकरण का काम जल्द शुरू किया जाए ताकि जलाशय में पानी की उपलब्धता फिर से बहाल हो सके और वन्यजीवों और किसानों को राहत मिल सके।