बलरामपुर। जिले के सामुदायिक और प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्रों पर अग्नि सुरक्षा के पर्याप्त इंतजाम नहीं हैं। अधिकांश स्वास्थ्य केन्द्रों में लगे अग्निशमन यंत्र केवल शो-पीस बनकर रह गए हैं, जिन्हें चलाने के लिए स्वास्थ्य कर्मी प्रशिक्षित नहीं हैं। इसके अलावा, पुराने और जर्जर विद्युत उपकरणों के कारण भी बड़े हादसों का खतरा बना हुआ है। इन सभी समस्याओं के बावजूद, जिम्मेदार अधिकारी इन व्यवस्थाओं को पूर्ण बताने में लगे हैं। हाल ही में लखनऊ के एक अस्पताल में आग लगने की घटना के बाद सरकार ने सभी अस्पतालों में अग्नि सुरक्षा व्यवस्था को दुरुस्त करने के निर्देश दिए थे। इसी को देखत हुए सामुदायिक और प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्रों की जांच की, तो कई केन्द्रों पर सुरक्षा इंतजामों की पोल खुल गई। जिले में कुल दस सामुदायिक और तीस प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्र संचालित हैं। हालांकि सामुदायिक स्वास्थ्य केन्द्रों पर अग्निशमन यंत्र जरूर लगे मिले, लेकिन प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्रों पर सुरक्षा उपकरणों की स्थिति बेहद खराब थी। कई स्वास्थ्य केन्द्रों पर पुराने और जर्जर विद्युत तारों के कारण कभी भी बड़ा हादसा हो सकता है। इन तारों के जरिए बिजली की आपूर्ति की जाती है, और किसी भी लापरवाही के चलते अनहोनी की आशंका बनी रहती है।सामुदायिक स्वास्थ्य केन्द्र सादुल्लाह नगर की जांच के दौरान वहां की स्थिति बेहद गंभीर पाई गई। यहां पर विद्युत उपकरणों का जाल फैला हुआ था और तारों की स्थिति भी अत्यधिक खराब थी। अस्पताल भवन भी बहुत पुराना था, जिससे आग लगने पर दमकल की गाड़ी को अस्पताल तक पहुंचने में कठिनाई हो सकती है। इसके अलावा, यहां लगे अग्निशमन यंत्र भी बिना उपयोग के पड़े हुए थे, और स्वास्थ्य कर्मियों को इसके संचालन की जानकारी नहीं थी। सीएचसी के अधीक्षक डॉ. गिरधर चौहान ने बताया कि जर्जर विद्युत तारों को बदलवाने के प्रयास किए जा रहे हैं और अग्निशमन यंत्रों को रिफिल करवा दिया गया है, साथ ही कर्मियों को प्रशिक्षण देने की योजना बनाई गई है।
सीएचसी और पीएचसी में अग्निशमन यंत्रों की कमी
जनकपुर के प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्र में तीन अग्निशमन यंत्र लगे मिले, लेकिन सामुदायिक स्वास्थ्य केन्द्र गैसड़ी में स्थित अग्निशमन यंत्रों को कुछ दिनों के लिए स्थानांतरित किया गया था। यहां के अधीक्षक डॉ. अरविंद ने बताया कि सभी यंत्र रिफिल कराए गए हैं, और कायाकल्प के बाद पीएचसी जनकपुर के यंत्र को वापस भेजा जाएगा। इसी तरह, उतरौला और श्रीदत्तगंज में कुछ अग्निशमन यंत्र पाए गए, लेकिन इन यंत्रों के संचालन में कर्मी अनभिज्ञ दिखाई पड़े।
सीएचसी हरैया में अग्निशमन यंत्र नहीं
भारत-नेपाल सीमा पर स्थित सीएचसी हरैया में नए स्वास्थ्य केन्द्र का निर्माण किया गया था, लेकिन यहां पर एक भी अग्निशमन यंत्र नहीं लगाया गया था। यहां छह यंत्र जरूर रखे गए थे, लेकिन इन्हें स्थापित नहीं किया गया था, और कर्मियों को इनके संचालन की कोई जानकारी नहीं दी गई थी। यदि यहां कोई दुर्घटना होती है, तो आग पर काबू पाना मुश्किल हो सकता है, और इसका खामियाजा मरीजों को उठाना पड़ सकता है।सीएसओ डॉ. मुकेश कुमार रस्तोगी ने बताया कि सभी अस्पतालों में लगे अग्निशमन यंत्रों की जांच कराई जाएगी, और पुराने विद्युत तारों को सुधारने की प्रक्रिया शुरू की जाएगी। उन्होंने कहा कि अस्पतालों की सुरक्षा सबसे महत्वपूर्ण है, और इसमें किसी भी प्रकार की लापरवाही नहीं बरती जाएगी।