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बलरामपुर।
भारत-नेपाल सीमा पर स्थित विश्व प्रसिद्ध सोहेलवा वन्य जीव अभ्यारण को प्रोजेक्ट टाइगर के अंतर्गत विकसित करने के लिए बलरामपुर फर्स्ट टीम ने महत्वपूर्ण पहल शुरू की है। इस अभ्यारण को रॉयल बंगाल टाइगर का प्राकृतिक वास माना जाता है, और हाल ही में हुई बाघों की जनगणना के दौरान कैमरा ट्रैपिंग में यहां कई बाघों की उपस्थिति के प्रमाण मिले हैं।सोहेलवा जंगल में न केवल बाघ, बल्कि अन्य दुर्लभ वन्य जीव भी पाए जाते हैं, और यहां की वनस्पतियां भी दुर्लभ और विश्व प्रसिद्ध हैं।
संरक्षण के लिए प्रोजेक्ट टाइगर की आवश्यकता
यह क्षेत्र अकूत प्राकृतिक संपदा से समृद्ध है, और इसके संरक्षण के लिए प्रोजेक्ट टाइगर योजना का लागू होना अत्यंत आवश्यक है। इस योजना के लागू होने से अभ्यारण में संसाधनों में वृद्धि होगी, जिससे बाघ समेत सभी दुर्लभ प्रजातियों के वन्य जीव और वनस्पतियों का संरक्षण संभव हो सकेगा।इस दिशा में कदम बढ़ाते हुए बलरामपुर फर्स्ट टीम के सदस्य सर्वेश सिंह ने बलरामपुर जनपद के प्रभारी मंत्री नितिन अग्रवाल को ज्ञापन सौंपा है। उन्होंने इस जंगल के संरक्षण और संवर्धन के लिए विशेष प्रयास करने का आग्रह किया है। सोहेलवा को प्रोजेक्ट टाइगर में शामिल किए जाने से इस अभ्यारण के विकास और पर्यावरण संरक्षण के महत्वपूर्ण कदम उठाए जा सकेंगे।