यूं तो श्रावस्ती लोकसभा क्षेत्र में मतदाताओं का रुझान जानना कठिन नहीं है, पर सपा और कांग्रेस अंतिम परिणाम के लिहाज से गुणा-भाग को थोड़ा मुश्किल बना रही है। यहां आमने-सामने की लड़ाई में भाजपा और सपा-कांग्रेस गठबंधन है। दोनों जहां अपने-अपने आधार वोट में मजबूती से लड़ रहे हैं, वहीं कुछ हद तक एक-दूसरे के आधार वोट में सेंध लगाने की कोशिश में भी हैं। बसपा इसमें अहम रोल अदा करेगी। बीएसपी का कैंडिडेट अगर मुस्लिम आया तो अखिलेश के पी.डी.ए के गणित बिगाड़ सकता है। स्थानीय राजनीतिक जानकार भी मानते हैं कि कांग्रेस ने लड़ाई को कठिन बना दिया है। इसलिए जीत-हार का अंतर ज्यादा नहीं रहेगा। राजनीतिक जानकार का कहना है कि मौजूदा हालात पर सपा और कांग्रेस के गठबंधन की उम्मीदवार से पहले बसपा का उम्मीदवार उतारे जिससे वह चुनावी समीकरण को समझ सकें। इसलिए श्रावस्ती सीट पर सपा आखिरी समय तक बसपा के प्रत्याशी का इंतजार करने का मन बना चुकी है।
भाजपा ने साल 2014 में सांसद जीते दद्दन मिश्रा को इस बार उम्मीदवार नहीं बनाया है। बीजेपी ने युवा चेहरा साकेत मिश्रा को श्रावस्ती लोकसभा से प्रत्याशी बनाया है।इंडिया गठबंधन से यह सीट सपा के खाते में है। राम शिरोमणि वर्मा सपा- बसपा के गठबंधन से 2019 में सांसद बने थे। साल 2009 में श्रावस्ती लोकसभा सीट परिसीमन के बाद पहली बार वजूद में आई। उससे पहले इसे बलरामपुर लोकसभा क्षेत्र के नाम से जाना जाता था। श्रावस्ती सीट के तहत श्रावस्ती जिले के दो विधानसभा क्षेत्र और बलरामपुर जिले के तीन विधानसभा क्षेत्र हैं। जातिगत आधार पर देखें तो अभी तक इस सीट पर सामान्य वर्ग में ब्राह्मण व ठाकुर, अनुसूचित जाति में गौतम, अन्य पिछड़ा वर्ग में कुर्मी व यादव और मुस्लिम मतदाता ही निर्णायक माने जाते रहे हैं। लेकिन, पहली बार वर्ष 2009 के चुनाव में वैश्य, कहार, मौर्य, कलवार, सुनार और लोनिया जैसी अपेक्षाकृत कम संख्या बल वाली जातियों के मतदाताओं ने भी एकमुश्त भाजपा के पक्ष में जाकर अपनी ताकत का अहसास करा दिया। यही वजह है कि इस बार श्रावस्ती में कोई प्रमुख दल कम संख्या बल वाली इन जातियों को अपनी ओर करने में कोई कोर-कसर नहीं छोड़ रहा है।
सभी धर्मों की आस्था को समेटे राप्ती नदी के तट पर बसा ‘श्रावस्ती’ कभी कौशल देश की राजधानी हुआ करताा था, भगवान् बुद्ध ने इस जगह पर अपने जीवन काल में 24 चातुर्मास बिताए थे, 1,640 वर्ग किलोमीटर में फैले श्रावस्ती जिले की औसत साक्षरता दर 37.89% है जिनमें पुरुषों की साक्षरता दर 46.59% और महिलाओं की साक्षरता दर 28.01% है। श्रावस्ती की 68.79% आबादी हिन्दू धर्म में जबकि 30.79% आबादी इस्लाम धर्म में आस्था रखती है, कुल आबादी का 16.94% हिस्सा अनुसूचित जाति और 0.5% हिस्सा अनुसूचित जनजाति है।