श्रावस्ती में आज भी लोग फूस के मकान और पल्लियों में रहने को मजबूर हैं। यहां के लोगों को बुनियादी सुविधा तक मुहैया नहीं हो पा रही है।भारत के थिंक टैंक कहे जाने वाले नीति आयोग की 2021 की रिपोर्ट में श्रावस्ती को सबसे गरीब जिला बताया गया है। गरीबी के साथ-साथ यह जिला अशिक्षा व बाल विवाह जैसे मामलों में भी सबसे आगे है। ऐसी स्थिति में प्रति व्यक्ति शराब उपभोग मामले में श्रावस्ती का पूरे प्रदेश में अव्वल आना हर किसी को चौंकाता है।
लोग फूस के मकान और पल्लियों में रहने को मजबूर
श्रावस्ती में आज भी लोग फूस के मकान और पल्लियों में रहने को मजबूर हैं। यहां आखिरी पायदान पर खड़े लोगों को बुनियादी सुविधा तक मुहैया नहीं हो पा रही है। आपको बताते चलें कि प्रदेश की राजधानी लखनऊ से 153 किलोमीटर की दूरी पर स्थित श्रावस्ती भारत नेपाल सीमा से जुड़ा हुआ आखिरी भारतीय जनपद है। यहां पर कोई भी उद्योग अब तक नहीं लगा है। यहां के ज्यादातर युवा महानगरों में मजदूरी के लिए जाते हैं।
प्रति व्यक्ति शराब बिक्री के मामले में श्रावस्ती का अव्वल आने के बावजूद इसमें वह आंकड़ा नहीं शामिल है, जो यहां पर लोग अवैध रूप से शराब का निर्माण कर उसको उपयोग में लाते हैं। जबकि आबकारी अधिकारी का कहना है कि जब से वह आए हैं तब से उन्होंने अवैध शराब निर्माण पर काफी अंकुश लगाया है। इसीलिए श्रावस्ती शराब बिक्री के मामले में प्रदेश में प्रथम आया है।