बलरामपुर। भारत-नेपाल सीमा पर स्थित बलरामपुर जिले की सीमावर्ती सड़कें बदहाली की मार झेल रही हैं। जरवा, गैसड़ी, पचपेड़वा, करैली, गनेशपुर, टिकुइया, प्रतापपुर से लेकर विशनपुर कलों और कोयलाबास तक की सड़कें जर्जर अवस्था में पहुंच चुकी हैं। इन सड़कों पर आवागमन करना अब जोखिम भरा हो गया है। कहीं गहरे गड्ढे हैं तो कहीं कीचड़ और उखड़ी गिट्टियां जानलेवा साबित हो रही हैं।ग्रामीण इलाकों की सड़कें इतनी खराब हो चुकी हैं कि चार पहिया वाहन तो छोड़िए, बाइक और साइकिल से भी चलना खतरनाक हो गया है। बारिश के दिनों में सड़कों पर जलभराव और कीचड़ आम हो जाता है, जिससे मरीजों को अस्पताल पहुंचाना एक चुनौती बन जाता है। ग्रामीणों का कहना है कि एंबुलेंस तक गांव तक नहीं पहुंच पाती।गड्ढों और बिखरी गिट्टियों के कारण आए दिन दुर्घटनाएं हो रही हैं। हर महीने करैली-गनेशपुर मार्ग पर आधा दर्जन से अधिक लोग घायल होते हैं। छात्र-छात्राओं को कीचड़ भरे रास्तों से होकर स्कूल जाना पड़ता है, जिससे उनके कपड़े और बैग गंदे हो जाते हैं। बेटियों का समय पर स्कूल पहुंचना तक मुश्किल हो गया है।जरवा रोड से टिकुइया जाने वाली सड़क पिछले पांच वर्षों से पूरी तरह ध्वस्त हो चुकी है। इसकी मरम्मत की मांग लगातार की जा रही है, लेकिन कोई कार्रवाई नहीं हुई। टिकुइया के बाद शुरू होने वाले सोहेलवा वन्यजीव क्षेत्र तक कोई भी सुगम मार्ग नहीं है। ग्रामीणों को वन्यजीवों के खतरे के बीच आवागमन करना पड़ता है।यह इलाका नेपाल सीमा से सटा हुआ है, जो सामरिक दृष्टिकोण से बेहद संवेदनशील माना जाता है। इसके बावजूद सीमावर्ती क्षेत्रों की सड़कों की स्थिति बदहाल बनी हुई है। ग्रामीण राजेश कुमार, अजय सिंह, मंगल प्रसाद, शोभा राम आदि बताते हैं कि कई बार अधिकारियों और जनप्रतिनिधियों से मांग की गई, लेकिन काम सिर्फ कागजों तक ही सीमित रह गया।
ग्रामीणों को पैदल चलने की मजबूरी
सड़कें इतनी खराब हो चुकी हैं कि ई-रिक्शा चालक तक इन मार्गों पर जाने से इनकार कर देते हैं। इससे ग्रामीणों को कई किलोमीटर पैदल चलकर गांव पहुंचना पड़ता है। स्थिति यह है कि जरवा रोड से विशनपुर कलों और टिकुइया तक की सड़कें अब पक्की सड़क कम और उखड़ी गिट्टियों का ढेर ज्यादा लगती हैं।
क्षेत्रवासियों की गुहार—सड़कों की हो तत्काल मरम्मत
ग्रामीणों की मांग है कि सीमावर्ती क्षेत्रों की सड़कों की तत्काल मरम्मत कराई जाए। बरसात से पहले यदि सड़कों की स्थिति नहीं सुधारी गई, तो आने वाले दिनों में हालात और भी गंभीर हो सकते हैं। जागरण के माध्यम से क्षेत्रवासी जिम्मेदार अधिकारियों और शासन-प्रशासन से सड़कों के पुनर्निर्माण की मांग कर रहे हैं।