सद्भावना आवाज़
बाराबंकी
उत्तर प्रदेश सरकार जनता को बेहतर स्वास्थ्य सुविधा देने के नाम पर हर साल करोड़ों रुपये का स्वास्थ्य बजट बनाती है। सरकार सरकारी अस्पताल से लेकर स्वास्थ्य केंद्रों और सिविल अस्पतालों में इलाज के लिए बेहतर संसाधन और सुविधा मुहैया कराने का दावा करती है, शायद बाराबंकी जिले में यह विकास के दावे खाली कागजों में ही सीमित रह गए हैं।यहां जिला अस्पताल के डॉक्टरों को संसाधन की कमी से जूझना पड़ता है। साथ ही मरीजों को भी इलाज के नाम पर केवल औपचारिकता ही मिल पाती है। जिला अस्पताल में बिजली अभाव के चलते रात में डॉक्टरों को टॉर्च जलाकर मरीजों का इलाज करना पड़ता रहा है।बता दें कि बाराबंकी जिला अस्पताल में कई बार डिप्टी सीएम बृजेश पाठक ने औचक निरीक्षण किया है।
निरीक्षण के दौरान जो अव्यवस्थाए मिली थी उनको डिप्टी सीएम ने दुरुस्त करने के आदेश भी दिए थे। लेकिन यहां के हाल डिप्टी सीएम के दौरे के बाद भी नहीं सुधर रहे हैं।दरअसल, बाराबंकी जिला अस्पताल सहित कई सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्रों में अव्यवस्थाओं का आलम है। जिला अस्पताल में आए दिन बिजली की समस्या बनी हुई है। यहां बिजली गुल होते ही रात के अंधेरे में डॉक्टरों को टॉर्च की रोशनी में मरीजों का इलाज करना पड़ता है। जिला अस्पताल में जनरेटर की भी व्यवस्था है। लेकिन यह कभी चलता है कभी किसी कमी के चलते चालू नहीं हो पाता है।बिजली गुल होने के बाद यदि जनरेटर नहीं चालू हो पाता है तो उस दिन अस्पताल अंधेरे में डूबा रहता है। इन अव्यवस्थाओं को जानते हुए जिले के स्वास्थ्य अधिकारी समस्याओं को दुरुस्त नहीं करवा पा रहें हैं, जिसके चलते यहां के स्टाफ को समस्या से जूझना पड़ता है। रात में डॉक्टरों को टॉर्च जलाकर मरीजों का ईलाज करना पड़ता