सद्भावना आवाज़
गोरखपुर।
गोरक्षपीठाधीश्वर और उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने शुक्रवार को महंत दिग्विजयनाथ जी महाराज की 55वीं तथा महंत अवेद्यनाथ जी महाराज की 10वीं पुण्यतिथि के उपलक्ष्य में आयोजित श्रद्धांजलि समारोह में गहरा श्रद्धा व्यक्त किया। इस अवसर पर उन्होंने संतों के योगदान को याद करते हुए कहा कि इन महान आत्माओं ने भारतीयता के मूल्यों के लिए जीवनभर संघर्ष किया। मुख्यमंत्री योगी ने कहा कि महंत दिग्विजयनाथ जी ने 1932 में महाराणा प्रताप शिक्षा परिषद की स्थापना की थी, जो शिक्षा के क्षेत्र में मील का पत्थर साबित हुई। उन्होंने कहा, “महंत का यह कार्य केवल धनार्जन के लिए नहीं, बल्कि लोक कल्याण के उद्देश्य से था।” उन्होंने गोरखपुर में शिक्षा के महत्व पर जोर देते हुए बताया कि महंत ने तत्कालीन राज्य सरकार को विश्वविद्यालय की स्थापना के लिए 50 लाख रुपये की संपत्ति दान की थी, जो आज के मानकों पर 500 करोड़ रुपये के बराबर है। मुख्यमंत्री ने सभ्य और समर्थ समाज के लिए शिक्षा को सबसे महत्वपूर्ण बताया। उन्होंने कहा, “महंत दिग्विजयनाथ जी ने तकनीकी शिक्षा के क्षेत्र में भी 1956 में एमपी पॉलिटेक्निक और साठ के दशक में आयुर्वेद कॉलेज की स्थापना की।” उन्होंने महंत अवेद्यनाथ जी द्वारा इन प्रयासों को आगे बढ़ाने की सराहना की।
1949 में ही राम मंदिर निर्माण की भविष्यवाणी
योगी आदित्यनाथ ने कहा कि महंत दिग्विजयनाथ और महंत अवेद्यनाथ ने हिंदू समाज को एकजुट करने के लिए छुआछूत मिटाने के अभियान में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। उन्होंने कहा, “इन संतों ने बिना किसी सरकारी सहायता के समाज में समरसता को बढ़ावा देने का कार्य किया।” सीएम ने आगे कहा कि गोरक्षपीठ के संतों का हर कार्य लोक कल्याण की भावना से प्रेरित रहा है। उन्होंने बताया कि “सनातन धर्म ने हमेशा मानवता के कल्याण का मार्ग प्रशस्त किया है।” उन्होंने यह भी बताया कि भारत की संस्कृति ने हर तरह की विपत्ति का सामना करने की क्षमता विकसित की है, जिसका उदाहरण कोरोना काल में देखा गया। मुख्यमंत्री ने महंत दिग्विजयनाथ जी की दिव्य दृष्टि की प्रशंसा की, जिसने 1949 में ही अयोध्या में राम मंदिर निर्माण की भविष्यवाणी की थी। उन्होंने कहा कि “आज उनके संकल्प की पूर्ति हो रही है।”
राम मंदिर आंदोलन में गोरक्षपीठ की भूमिका महत्वपूर्ण
इस समारोह में पूर्व सांसद डॉ. रामविलास वेदांती ने भी अपने विचार रखे। उन्होंने गोरक्षपीठ को हिंदुत्व और सामाजिक समरसता का प्रतीक बताया। उन्होंने कहा कि “राम मंदिर आंदोलन में गोरक्षपीठ की भूमिका महत्वपूर्ण थी।” इसके अलावा, जगद्गुरु अनंतानंद द्वाराचार्य काशीपीठाधीश्वर स्वामी डॉ. राम कमल दास ने भी महंतों के योगदान पर प्रकाश डाला, वहीं डीनदयाल उपाध्याय गोरखपुर विश्वविद्यालय की कुलपति प्रो. पूनम टंडन ने महंत दिग्विजयनाथ के शिक्षा क्षेत्र में योगदान को सराहा। इस अवसर पर महाराणा प्रताप बालिका इंटर कॉलेज की छात्राओं ने सरस्वती वंदना और श्रद्धांजलि गीत प्रस्तुत किए। कार्यक्रम का संचालन डॉ. श्रीभगवान सिंह ने किया, और आभार ज्ञापन महाराणा प्रताप शिक्षा परिषद के उपाध्यक्ष राजेश मोहन सरकार ने किया। समारोह के अंत में “वंदे मातरम” का गायन किया गया।