सद्भावना आवाज़
लखनऊ।
उत्तर प्रदेश में गंगा नदी के संरक्षण और सफाई के प्रयासों को एक नई सफलता मिली है। राष्ट्रीय स्वच्छ गंगा मिशन की 56वीं कार्यकारी समिति की बैठक में यूपी के लिए 73.39 करोड़ रुपए की लागत वाली पांच परियोजनाओं को मंजूरी दी गई है। इन परियोजनाओं का उद्देश्य गंगा नदी के प्रदूषण को कम करना और उसके इको-सिस्टम को सुधारना है। इन परियोजनाओं में वाराणसी में स्मार्ट लैबोरेटरी फॉर क्लीन रिवर के सचिवालय की स्थापना, गुलावठी में गंगा की सहायक पूर्वी काली नदी के प्रदूषण को रोकने के लिए सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट का निर्माण, रायबरेली के डलमऊ में फीकल स्लज मैनेजमेंट परियोजना, प्रयागराज के छिवकी रेलवे स्टेशन पर अर्थ गंगा केंद्र की स्थापना और लखनऊ के बाबासाहेब भीमराव अंबेडकर केंद्रीय विश्वविद्यालय द्वारा ऊपरी गोमती नदी बेसिन में निचले क्रम की धाराओं और सहायक नदियों के कायाकल्प की योजना शामिल हैं।
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वाराणसी में, स्मार्ट लैबोरेटरी फॉर क्लीन रिवर परियोजना के तहत सचिवालय स्थापित किया जाएगा, जो छोटी नदियों के कायाकल्प और जल प्रबंधन के लिए एक महत्वपूर्ण पहल है। गुलावठी में, 50.98 करोड़ रुपए की लागत से एक सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट और इंटरसेप्शन व डायवर्जन सुविधाएं स्थापित की जाएंगी। रायबरेली में, 4.40 करोड़ रुपए की लागत से फीकल स्लज मैनेजमेंट प्लांट और सोलर पॉवर प्लांट स्थापित किया जाएगा। प्रयागराज के छिवकी रेलवे स्टेशन पर अर्थ गंगा केंद्र स्थापित किया जाएगा, जिसका उद्देश्य गंगा और पर्यावरण के प्रति जागरूकता फैलाना है। लखनऊ में, ऊपरी गोमती नदी बेसिन में छोटी धाराओं और सहायक नदियों के कायाकल्प की परियोजना को 81.09 लाख रुपए की लागत से मंजूरी दी गई है। बैठक की अध्यक्षता राष्ट्रीय स्वच्छ गंगा मिशन के महानिदेशक राजीव कुमार मित्तल ने की। इस अवसर पर एनएमसीजी के अन्य वरिष्ठ अधिकारी भी उपस्थित थे।
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