सद्भावना आवाज़
दुर्गेश जायसवाल ,संवाददाता
गोण्डा
बारिश का मौसम आते ही हरी सब्जियों के दाम आसमान छूने लगते हैं। इस बार टमाटर ने महंगाई के सारे रिकॉर्ड तोड़ दिए है। गरीब ही नहीं मध्यम वर्ग के लोगों के थाल से हरी सब्जियां गायब हो गई हैं। खेतों में पानी भर गया है। हरी सब्जियों की महंगाई पर जब सब्जी उत्पादक किसानों से बातचीत की गई तो उन्होंने महंगाई की पूरी गणित समझा दिया। यूपी के छोटे बड़े शहरों में बिना मौसम वाली सब्जियां आपको लगभग जगह मिल जाएंगी। लोग जब इन्हें खरीदने के लिए बाजारों में जाते हैं। तो इनके दाम सुनकर हैरान रह जाते हैं। कई ग्राहक मन होते हुए भी बहुत महंगे होने के चलते इन्हें खाने का प्लान ही कैंसिल कर देते हैं। टमाटर कोल्ड स्टोर में रखकर बेमौसम ही बेचा जाता है।
टमाटर की पूरी फसल गई सूख
इस बार टमाटर ने महंगाई में सारे रिकॉर्ड तोड़ दिए। हरी सब्जियों के दाम आसमान छूने पर सब्जी उत्पादक किसान क्या कहते हैं।परंपरागत खेती के अलावा काफी संख्या में किसान अब हरी साग सब्जियों सहित मिर्च मसाले की खेती करने लगे है। सब्जी उत्पादक किसानों को बारिश के सीजन में सबसे ज्यादा नुकसान झेलना पड़ता है। सब्जी उत्पादक किसान श्याम रंग बताते हैं। अप्रैल कि शुरुआत में टमाटर की फसल लगाई थी। जून के पहले सप्ताह से फल आने लगे। उस समय टमाटर का रेट 20 रुपये से लेकर फुटकर में 30 रुपये किलो तक बिकता था। जल निकासी की पूरी व्यवस्था करने के बावजूद अत्यधिक बारिश होने के कारण खेतों में पानी भर गया। जिससे टमाटर की पूरी फसल सूख गई। इसी तरह लौकी कद्दू भिंडी भी नष्ट हो गई। यह हाल अकेले मेरा नहीं बल्कि क्षेत्र में जितने किसान सब्जी की खेती करते हैं। सब का यही हाल हुआ है। उनका कहना है कि बाजार में जैसे ही ग्रामीण क्षेत्रों से हरी सब्जियां जाना बंद हो जाती हैं। फिर सब्जी के व्यापारी पहाड़ी क्षेत्रों से यानी बाहर से सब्जी मंगवाने लगते हैं। जिससे बरसात के मौसम में इनके दाम आसमान छूने लगते हैं। यही हाल टमाटर का भी रहा है। जैसे ही हम लोगों की टमाटर की फसल बारिश के कारण नष्ट हो गई। बड़े-बड़े थोक व्यापारी इस खेल को बड़े बारीकी से समझते हैं। मंडियों में एक से 3 से 4 गाड़ियां टमाटर प्रतिदिन आता था। जब रेट प्रतिदिन बढ़ने लगा तब थोक व्यापारियों ने इससे मंगाना कम कर दिया। जो आता था। उसे भी रोक लिया जाता था। फुटकर व्यापारियों को भी मांग के अनुरूप टमाटर नहीं दिया जाता था। यदि किसी को 4 पेटी टमाटर का काम तो उसे 2 में ही निपटा दिया जाता था। दूसरे दिन वही टमाटर 20 से 30 रुपये तेज बिकने लगता था।
खरीदें कीमतों में तो लगी आग
टमाटर अदरक के साथ गोभी सहित सारी हरि सब्जियां दो से तीन गुने महंगी हो गई है। टमाटर और अदरक के दामों में कई गुना इजाफा हुआ है। हरी मिर्च की कड़वी हो गई है। सब्जी मंडी में पहुंचते ही हर जुबां पर एक बात होती है। क्या खरीदें, सब्जियों की कीमतों में तो आग लगी है। फिर एक किलो की जगह आधा किलो, आधा किलो लेने वाले एक पाव खरीदकर घर लौट आते हैं। लेकिन खरीदार खासकर, बड़े शहरों में लोग कभी ये नहीं सोचते कि सब्जियां आखिर इस मौसम में इतनी महंगी क्यों हो जाती हैं?
मंडी में ऐसे पहुंचती हैं बिना सीजन की सब्जियां
दरअसल, अभी जो-जो सब्जियां महंगी हैं। वो सीधे खेत से मंडी तक नहीं पहुंचती हैं।क्योंकि बरसात के मौसम में बेहद कम सब्जियां ही उगती हैं। जो किसान उगाते भी है। बारिश के कारण उनकी फसल नष्ट हो गई है। अब टमाटर, गोभी, हरी मिर्च जैसी सब्जियां जुलाई महीने में खेतों में नजर नहीं आतीं। फिर आपका सवाल होगा कि मंडी में ये कहां से आती हैं। हर साल बरसात के मौसम के लिए सब्जियां कोल्ड स्टोरेज में रखी जाती हैं। और अधिकतर इलाकों में इन्हें खपत के हिसाब से धीरे-धीरे मंडी तक पहुंचाया जाता है।
सब्जियां खेतों में दिखती तो बाजार में आसानी से मिलती
सब्जियां में जब खेत में लगी होती हैं तो बाजार में भी आसानी से मिल जाती हैं। वो भी सामान्य भाव पर, उसी दौरान इन सब्जियों की बड़ी खेप को कोल्ड स्टोरेज में रख दिया जाता है। क्योंकि कोल्ड स्टोरेज में महीनों तक सब्जियां ताजी रहती हैं। खासकर गोभी, प्याज, टमाटर और आलू के लिए पूरे देश में कोल्ड स्टोरेज मौजूद हैं। हालांकि अधिकतर किसान प्याज और आलू के लिए कोल्ड स्टोरेज का इस्तेमाल करते हैं। लेकिन अब मौसमी सब्जियां भी बड़े पैमाने पर कोल्ड स्टोरेज में रखी जाती हैं। टमाटर को अधिकतम डेढ़ से 2 महीने तक कोल्ड स्टोरेज में रखा जा सकता है।