एक महिला की जिद और समर्पण ने गोंडा के पंडरी कृपाल सीएचसी को राष्ट्रीय स्तर पर पहचान दिलाई है। स्वास्थ्य सुविधाओं की कमी और पिछड़ेपन का प्रतीक समझे जाने वाले इस सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र ने अब एनक्वास और कायाकल्प अवार्ड हासिल कर जिले का नाम रोशन किया है। इसकी सफलता की कहानी अधीक्षक डॉ. पूजा जायसवाल के नेतृत्व का नतीजा है। डॉ. पूजा ने न केवल अस्पताल की बुनियादी संरचना को सुधारा, बल्कि ग्रामीण इलाकों में स्वास्थ्य सेवाओं की पहुंच बढ़ाने के लिए विशेष प्रयास किए। नसबंदी अभियान और प्रसव सेवाओं की शुरुआत कर ग्रामीण महिलाओं को उनके अधिकार दिलाए। उन्होंने गर्भवती महिलाओं की स्वास्थ्य निगरानी और उच्च जोखिम वाली महिलाओं पर फोकस करके मातृ मृत्यु दर में कमी लाने का प्रयास किया। गांव की महिलाओं को प्राथमिक स्वास्थ्य सेवाओं के लिए शहर जाने की जरूरत नहीं पड़ी। डॉ. पूजा ने गांवों में शिविर लगाकर, बेटियों की काउंसलिंग कर, और स्कूली बच्चों के स्वास्थ्य परीक्षण कर लोगों में स्वास्थ्य के प्रति जागरूकता बढ़ाई।
प्लास्टर में भी नहीं रुका जज्बा
जब भारत सरकार की टीम निरीक्षण के लिए आने वाली थी, तब डॉ. पूजा के पैर में प्लास्टर था। लेकिन उन्होंने इसे बाधा नहीं बनने दिया। प्लास्टर के साथ ही अस्पताल पहुंचकर हर व्यवस्था की निगरानी की। उनके इस समर्पण की टीम ने भी तारीफ की।
महिला नेतृत्व की मिसाल
इस उपलब्धि पर डीएम डॉ. नेहा शर्मा और सीडीओ अंकिता जैन ने टीम को सम्मानित किया। यह घटना दिखाती है कि महिला नेतृत्व, जब प्रतिबद्धता और दृढ़ता से प्रेरित होता है, तो असंभव को भी संभव बना सकता है। पंडरी कृपाल सीएचसी अब न केवल गोंडा बल्कि पूरे देश के लिए एक मिसाल बन गया है।
नया नजरिया, नई उम्मीदें
डॉ. पूजा जायसवाल का यह प्रयास न केवल स्वास्थ्य सेवाओं को सुधारने का एक उदाहरण है, बल्कि यह भी दिखाता है कि सही नेतृत्व से कैसे सरकारी संस्थान भी रोल मॉडल बन सकते हैं।