लखनऊ।
यूपी में इन्फ्लूएंजा के नए वायरस H3N2 के खतरे को देखते हुए अस्पतालों ने सतर्कता बढ़ा दी है। OPD और वार्ड में डॉक्टर-स्टॉफ के अलावा मरीजों और तीमारदारों को मास्क लगाने के लिए कहा गया है। कोमोर्बीडी यानी पहले से ही गंभीर रोग से पीड़ित मरीजों,बुजुर्गों और बच्चों को विशेष ऐहतियात बरतने को कहा गया हैं। हालांकि अभी इसे सामान्य फ्लू की तरह या मौसमी इन्फ्लूएंजा की ही तरफ ट्रीट किया जा रहा हैं। लेकिन इसके मरीजों की संख्या बढ़ने पर अस्पतालों में दवाएं और बेड तैयार रखने को कहा गया हैं।
सरकारी अफसर प्रदेश में H3N2 के मरीजों की सटीक संख्या न होने की बात कहते हैं। विभाग की ओर से सिर्फ H1N1 के मरीजों का आंकड़ा रखा जाता हैं। साल दिसंबर 2022 में इसके 350 से ज्यादा मरीज मिले हैं, जबकि एक साल पहले दिसंबर 2021 में इसकी संख्या 40 के करीब थी। हालांकि KGMU में इसके जांच की सुविधा होने के साथ ही सैंपल कलेक्शन के साथ जांच भी शुरु हो चुकी हैं।
स्वास्थ्य महानिदेशक डॉ.लिली सिंह ने बताया कि मौसमी बीमारियों को लेकर अस्पतालों में पहले ही दवाओं का इंतजाम कर लिया गया है। फिर भी जहां कोई कमी है, उसके बारे में जानकारी मांगी गई है। जहां से मांग आई है वहां उत्तर प्रदेश मेडिकल सप्लाई कॉरपोरेशन से भी दवाएं भिजवाई जा रही हैं। इसे लेकर किसी तरह घबराने की जरूरत नहीं है। सभी लोग मास्क लगाएं ताकि कोविड और इन्फ्लूएंजा से बचा जा सके।
KGMU के पल्मोनरी और क्रिटिकल केयर मेडिसिन के प्रोफेसर डॉ. वेद प्रकाश ने बताया कि वायरल इन्फ्लूएंजा से बचाव बेहद जरूरी हैं। इसमें वायरल फीवर के साथ खांसी-जुखाम के साथ गले की खराश की समस्या आ सकती हैं।
इस सीजन पर आम तौर पर इन्फ्लूएंजा के मरीज बढ़ते हैं पर इस बार मरीजों की संख्या में और ज्यादा इजाफा हुआ हैं। इधर होली के बाद कई ऐसे मरीज भी सामने आए जिनमें यह बीमारी गंभीर रूप ले चुकी हैं। यही कारण हैं कि इसको लेकर सावधानी बेहद जरूरी हैं। कोविड प्रोटोकॉल से ही बचाव किया जा सकता हैं। मास्क और सैनीटाइजर बेहद अहम हैं। संक्रमण होने पर इसका इलाज हैं पर अहम बात यह हैं कि बिना डॉक्टर को दिखाए खुद से दवा न लें। कोई भी एंटीबायोटिक का प्रयोग बिना किसी चिकित्सकीय परामर्श के न करें।