गोण्डा।
गोंडा के वजीरगंज के परसहवा निवासी अरुण कुमार पाण्डेय दिल्ली यूनिवर्सिटी से ग्रेजुएट हैं। वह आई.ए.एस. की तैयारी कर रहे हैं। अरुण ने प्रारंभिक पढ़ाई महर्षि विद्या मंदिर नबाबगंज से की। जूनियर हाईस्कूल से इंटर की पढ़ाई स्कालर बोर्डिंग स्कूल देहरादून से की। इसके बाद परिजनों ने ग्रेजुएशन के लिए दिल्ली यूनिवर्सिटी भेजा। वहां से स्नातक किया। इसके बाद आईएएस की तैयारी करने के साथ यूकेलिप्टस की पत्ती से तेल निकालने का प्लांट लगाया। अरुण पाण्डेय के प्लांट से बादाम, लौंग, तुलसी और लैमन ग्रास से तेल निकालने के साथ ही अयोध्या में प्रवाहित फूलों को निकाल कर उससे भी तेल निकाल रहे हैं। इसके बाद शहद के कारोबार में हाथ आजमाने का फैसला किया। वर्ष 2018 में 10 बक्से खरीदे। गैर परंपरागत प्राकृतिक फूलों से शहद उत्पादन करने का फैसला किया।
प्राकृतिक शहद के लिए देश के अलग-अलग प्रांतों में भ्रमण करते रहते हैं। परंपरागत फूलों के अलावा वह लीची, जामुन, करंच, बबूल, अजवाइन, यूकेलिप्टस, तुलसी, मल्टी-फ्लावर के शहद का कारोबार कर रहे हैं। बकौल अरुण पाण्डेय परसहवा गांव में यूकेलिप्टस की पत्ती से तेल और इसी के फूल और बबूल के फूलों से शहद तैयार करते हैं। उन्होंने बताया कि हड्डी के दर्द, सांस की बीमारी, दाद की दवा और बाल के विकास के लिए इसकी सबसे ज्यादा मांग है। लीची से शहद तैयार करने के लिए अप्रैल में कुशीनगर, मई से जून में झारखंड जाकर करंच के फूलों का शहद तैयार किया जाता है। मई से जुलाई तक दुधवा नेशनल पार्क में जामुन के पौधों से शहद तैयार किया जाता है।
पेट के मरीजों के लिए अजवाइन का शहद सबसे लाभप्रद है। इसे मध्यप्रदेश के शिवपुर में अक्टूबर से नवंबर तक तैयार किया जाता है। वहां अजवाइन की खेती होती है। पश्चिम बंगाल के सुंदरवन में मल्टी-फ्लावर से शहद तैयार किया जाता है। इसके लिए फरवरी से मार्च का महीना सबसे उपयुक्त होता है। उन्होंने बताया कि चिन्हित क्षेत्रों में वह हर साल नियत समय पर बॉक्स लेकर जाते हैं। इन बॉक्स में मधुमक्खी होती है। मधुमक्खी तीन किलोमीटर के परिक्षेत्र में मौजूद फूलों का रस लाकर शहद तैयार करती है। इसमें किसी प्रकार के केमिकल का प्रयोग नहीं होता।
अरुण पाण्डेय ने बताया कि देश में पहले यूकेलिप्टस का तेल चायना से आता था। साल में 50 से 60 कुंतल तेल प्लांट से निकालते हैं और आनलाइन देश में तेल की आपूर्ति कर रहे हैं।
अपनी मेधा का प्रयोग कारोबार में किया। अरुण पाण्डेय ने गैर-परंपरागत फूलों से शहद का व्यापार शुरू किया। इसके लिए इस कारोबार को वर्ष 2018 में महज 10 बक्से से शुरू किया।