सिद्धार्थनगर।
गांवों में कूडा निस्तारण की योजना होने के बावजूद जिम्मेदार ध्यान नहीं दे रहे, जिसके कारण कचरे को जलसंचयन कर रहे गड्ढों में ही इसको फेंक दिया जाता है। ऐसे में पटकर या तो गांव के गड्ढ़ों का रकबा कम होता जा रहा है या वह विलुप्त होने के कगार पर हैं।जल संचयन सरकार की एक बड़ी योजना है। जिसमें गड्ढो व तालाबों में बारिश का पानी इकट्ठा किया जाता है। बारिश न होने या कम होने पर समय-समय पर वैकल्पिक व्यवस्था द्वारा भी उन्हें भरा जाता है, ताकि जलस्तर को सामान्य बनाए रखा जा सके। साथ ही सिंचाई व मवेशियों के लिए पानी की व्यवस्था बनी रहे।
सरकार ने कूड़ा निस्तारण के लिए ग्राम पंचायतों में एक कूड़ाघर व दस सोक पिट बनवाने की योजना तो बना रखी है पर अधिकतर ग्राम पंचायतों में इस पर अमल नहीं किया जा सका है। जिसके कारण निकलने वाले कचरे को गांव के किसी गड्ढे में ही फेंक दिया जाता है। नतीजन गढ्ढे धीरे-धीरे पट कर खत्म होते जा रहे हैं। अगर ऐसा ही रहा तो गड्ढे खत्म हो जाएंगे और जल संचयन नहीं हो पाएगा, जिससे तमाम तरह की परेशानियों से आमजन को रूबरू होना पड़ेगा।बीडीओ भनवापुर धनंजय सिंह ने कहा कि सरकार की ओर से कूड़ा निस्तारण के लिए चलाई जा रही योजनाओं पर सख्ती से अमल कराया जाएगा, ताकि गांव के गड्ढों को सुरक्षित रखा जा सके