सद्भावना आवाज़
बलरामपुर।
जिले में डीएवी इंटर कॉलेज के अध्यापक अशोक तिवारी द्वारा वेतन कटौती के विरोध में किए गए आमरण अनशन ने प्रशासन को झुकने पर मजबूर कर दिया। मंगलवार की सुबह डीआईओएस कार्यालय, बलरामपुर के गेट पर अशोक तिवारी ने ओम का ध्वज स्थापित कर वेद मंत्र पाठ और हवन के साथ अपने अनशन की शुरुआत की। इस दृढ़ संकल्प के साथ शुरू किए गए अनशन के दौरान, अशोक तिवारी ने वेद को सीने से चिपकाए रखा और किसी भी परिस्थिति में पीछे न हटने का संकल्प लिया।जिला विद्यालय निरीक्षक कार्यालय के अधिकारियों ने स्थिति की गंभीरता को देखते हुए पुलिस को मौके पर बुलाया। लेकिन पुलिस के हस्तक्षेप के बावजूद अशोक तिवारी अपने संकल्प पर अडिग रहे। पुलिस और प्रशासन की असमंजस की स्थिति तब और बढ़ गई जब उन्होंने देखा कि अशोक तिवारी पूरी तरह से शांतिपूर्ण तरीके से अपने अधिकारों के लिए संघर्ष कर रहे थे।मौके पर स्थिति को संभालने के लिए कोतवाली देहात के उप निरीक्षक, शैलेंद्र कुमार यादव ने अशोक तिवारी से बातचीत की और उनके मुद्दों को समझने की कोशिश की। उन्होंने जिला विद्यालय निरीक्षक कार्यालय के बाबू से मामले की पुष्टि की और तुरंत उच्च अधिकारियों से संपर्क किया।
अनशन किया समाप्त
स्थिति की गंभीरता को समझते हुए, जिला विद्यालय निरीक्षक कार्यालय के प्रतिनिधि दिनेश कुमार जी मौके पर पहुंचे और अशोक तिवारी को आश्वासन दिया कि उनका वेतन जल्द ही जारी किया जाएगा। उन्होंने यह भी कहा कि मामले की पूरी जांच की जाएगी और अगर वेतन की कटौती गलत तरीके से की गई है, तो उसे सही तरीके से बहाल किया जाएगा। इस आश्वासन के बाद अशोक तिवारी ने अपना अनशन समाप्त किया और घर लौट आए।इस घटना ने यह साबित कर दिया है कि प्रशासनिक अनदेखी के खिलाफ दृढ़ संकल्प और शांतिपूर्ण विरोध से भी अधिकारों की प्राप्ति संभव है। अशोक तिवारी की इस जीत ने समाज में एक महत्वपूर्ण संदेश दिया है कि सत्य और अहिंसा के मार्ग पर चलकर भी अधिकारों की प्राप्ति हो सकती है।
जिला विद्यालय निरीक्षक ने बताया कि
इस मामले पर प्रतिक्रिया देते हुए जिला विद्यालय निरीक्षक ने बताया कि प्रबंधक द्वारा डीएवी इंटर कॉलेज के अध्यापक का वेतन काटा गया था, जिसके विरोध में अशोक तिवारी ने कार्यालय पर ताला लगा दिया था और धरने पर बैठ गए थे। उन्होंने बताया कि इस कार्रवाई से सरकारी कार्य में बाधा उत्पन्न हुई और बिना किसी सूचना के ताला लगाया गया था। पुलिस प्रशासन ने ताला खुलवाकर कार्य फिर से शुरू करवाया। जिला विद्यालय निरीक्षक ने यह भी स्पष्ट किया कि अध्यापक का प्रार्थना पत्र प्राप्त कर लिया गया है और मामले की जांच की जा रही है। उन्होंने आश्वासन दिया कि यदि वेतन की कटौती गलत तरीके से की गई होगी, तो उसे बहाल कर दिया जाएगा।इस घटना के बाद, अशोक तिवारी के समर्थन में कई स्थानीय लोग भी सामने आए, जिन्होंने उनके शांतिपूर्ण विरोध और दृढ़ संकल्प की सराहना की। अशोक तिवारी के इस कदम ने एक बार फिर यह साबित किया है कि सत्य और अहिंसा के मार्ग पर चलकर भी एक व्यक्ति अपने अधिकारों की लड़ाई लड़ सकता है और जीत सकता है।
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