मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने जल जीवन मिशन के कार्यों की प्रगति समीक्षा के दौरान सभी परियोजनाओं में गुणवत्ता सुनिश्चित करने के लिए सख्त निर्देश दिए हैं। उन्होंने कहा कि हर परियोजना का थर्ड पार्टी ऑडिट कराया जाए और नोडल अधिकारियों की नियुक्ति कर जिम्मेदारी तय की जाए।मुख्यमंत्री ने निर्देश दिए कि जनप्रतिनिधियों के साथ समन्वय बनाकर सड़क रिस्टोरेशन और जलापूर्ति कार्य समयबद्ध तरीके से पूरे किए जाएं। बुंदेलखंड और विंध्य क्षेत्र सहित पूरे प्रदेश में मिशन के तहत 40,951 योजनाएं स्वीकृत की गई हैं, जिनकी लागत ₹1.52 लाख करोड़ है।
CO2 उत्सर्जन में भी होगी कमी
प्रदेश में 33,229 योजनाएं सौर ऊर्जा पर आधारित हैं। इनके तहत 900 मेगावाट के सोलर पैनल लगाए गए हैं। इससे न केवल पर्यावरण को लाभ होगा, बल्कि हर साल 13 लाख मीट्रिक टन CO2 उत्सर्जन में कमी आएगी। इन योजनाओं को केंद्र सरकार ने “बेस्ट प्रैक्टिसेज” के रूप में मान्यता दी है।

सौर ऊर्जा से होगी 1 लाख करोड़ की बचत
सौर ऊर्जा आधारित परियोजनाओं के कारण कुल लागत में ₹13,344 करोड़ की वृद्धि हुई, लेकिन इसके चलते परिचालन और अनुरक्षण पर राज्य सरकार को ₹1 लाख करोड़ की बचत होगी। सामुदायिक अंशदान के रूप में ₹9,092.42 करोड़ का प्रावधान है।बैठक में जलशक्ति मंत्री स्वतंत्र देव सिंह और राज्यमंत्री रामकेश निषाद भी उपस्थित रहे।
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