नगर के ऐतिहासिक 100 साल पुराने गेट की मरम्मत कार्य में हो रही देरी से स्थानीय लोगों की परेशानियां बढ़ती जा रही हैं। है, इस कार्य को शुरू हुए दो महीने से अधिक समय हो चुका है और अभी तक पूरा नहीं किया जा सका है। दीवाली की छुट्टियों के दौरान कार्य पूरी तरह से रुक गया था और ठेकेदारों की लापरवाही की वजह से मरम्मत में और देरी हो रही है। इसके कारण स्कूली बच्चों, दुकानदारों और ई-रिक्शा चालकों को कई समस्याओं का सामना करना पड़ रहा है।
गौरव का प्रतीक बना असुविधा का कारण
यह गेट नगर की ऐतिहासिक धरोहरों में एक महत्वपूर्ण हिस्सा है और इसे नगर का गौरव माना जाता है। लेकिन अब यही गेट स्थानीय लोगों के लिए असुविधा का कारण बन गया है। मरम्मत कार्य के चलते इस क्षेत्र में यातायात प्रभावित हो रहा है और स्थानीय निवासियों को लंबा रास्ता तय करना पड़ रहा है। ई-रिक्शा चालक राजेश कुमार यादव ने कहा, “काम की धीमी गति से हमारा समय और ईंधन बर्बाद हो रहा है। सवारियों को लाने-ले जाने में अतिरिक्त परेशानी हो रही है।”
कार्यदाई संस्था पर सवाल
इस मरम्मत कार्य को “कायार्दई संस्था” और “INTACH” कंपनी” के निर्देशन में किया जा रहा है। हालांकि, स्थानीय नागरिकों और विशेषज्ञों का कहना है कि इस परियोजना में हो रही देरी के लिए इन दोनों संस्थाओं की लापरवाही भी जिम्मेदार है। दो महीने से काम रुका हुआ है, और इसके कारण स्थानीय लोग परेशान हैं। अजीत ओझा, शशांक मिश्रा,प्रदीप कुमार, मिक्की मिश्रा और मोहन कुमार त्रिपाठी जैसे स्थानीय नागरिकों ने प्रशासन से जल्दी काम पूरा करने की अपील की है। उनका कहना है कि इस देरी से उनकी दिनचर्या बुरी तरह प्रभावित हो रही है।
दीवाली के दौरान कार्य में रुकावट
दीवाली के दौरान 15 दिन की छुट्टी के कारण मरम्मत कार्य पूरी तरह से रुक गया था। इस छुट्टी के दौरान कार्य की गति और धीमी हो गई, जिसके बाद मरम्मत कार्य में और देरी हो गई। अब स्थानीय लोगों की दिनचर्या पर इसका असर देखने को मिल रहा है। दुकानदारों और स्कूली बच्चों के परिजनों ने प्रशासन से आग्रह किया है कि मरम्मत कार्य जल्द पूरा किया जाए ताकि उनकी दैनिक गतिविधियां सामान्य हो सकें।
स्थानीय निवासियों की मांग
स्थानीय नागरिकों और व्यापारियों ने प्रशासन से मांग की है कि इस मरम्मत कार्य की नियमित निगरानी की जाए। उनका कहना है कि प्रशासन को ठेकेदारों और कार्यदाई संस्था को सख्ती से निर्देश देना चाहिए ताकि काम समय पर पूरा हो। उनका यह भी कहना है कि इस परियोजना में हो रही देरी के कारण न केवल जनता को असुविधा हो रही है, बल्कि ऐतिहासिक धरोहर के संरक्षण में प्रशासन की लापरवाही भी उजागर हो रही है। स्थानीय नागरिकों का कहना है कि इस परियोजना के सफलतापूर्वक पूरा होने के लिए प्रशासन को ठेकेदारों और कार्यदाई संस्था की नियमित निगरानी करनी चाहिए। केवल तभी इस परियोजना को समय पर पूरा किया जा सकता है और स्थानीय लोगों को होने वाली असुविधाओं से निजात दिलाई जा सकती है।