बलरामपुर। सरकारी अस्पतालों में तैनात डॉक्टरों द्वारा गुपचुप तरीके से निजी प्रैक्टिस करने का मामला तूल पकड़ चुका है। जांच में जिले के 10 सरकारी डॉक्टरों के नाम सामने आने के बाद स्वास्थ्य विभाग हरकत में आ गया है। इन डॉक्टरों को न सिर्फ सरकारी सुविधाएं मिल रही थीं, बल्कि ये नॉन प्रैक्टिस अलाउंस (एनपीए) भी ले रहे थे, जिसके तहत इन्हें निजी प्रैक्टिस करने की अनुमति नहीं होती। अब इस मामले की जांच सहायक निदेशक स्वास्थ्य देवीपाटन मंडल डॉ. जयंत कुमार को सौंपी गई है, जो जल्द ही अपनी रिपोर्ट उच्चाधिकारियों को सौंपेंगे।बीते महीने सरकार ने प्रदेशभर में सरकारी डॉक्टरों की निजी प्रैक्टिस को लेकर जांच कराई थी। बलरामपुर जिले में सबसे ज्यादा 10 डॉक्टरों के नाम सामने आए, जो सरकारी सेवा में रहते हुए भी प्राइवेट क्लीनिक चला रहे थे या दूसरे अस्पतालों में सेवा दे रहे थे। इतना ही नहीं, ये डॉक्टर निजी प्रैक्टिस न करने का शपथपत्र देकर सरकार से एनपीए का पैसा भी ले रहे थे। इस खुलासे के बाद स्वास्थ्य विभाग को गुमराह करने वाले इन डॉक्टरों पर कार्रवाई की तलवार लटक गई है।जांच के बाद दोषी पाए जाने पर इन डॉक्टरों पर विभागीय कार्रवाई हो सकती है। उनका एनपीए भत्ता रोका जा सकता है और कुछ मामलों में सस्पेंशन या सेवा समाप्ति तक की कार्रवाई संभव है। स्वास्थ्य विभाग इस मामले को गंभीरता से ले रहा है, क्योंकि सरकारी अस्पतालों में पहले ही डॉक्टरों की भारी कमी है, ऊपर से जो डॉक्टर तैनात हैं, वे भी अपनी प्राथमिक जिम्मेदारियों से मुंह मोड़कर निजी प्रैक्टिस में जुटे हैं।
इन डॉक्टरों के नाम आए सामने
जांच में जिन डॉक्टरों का नाम सामने आया है, उनमें जिला मेमोरियल अस्पताल के डॉ. हीरालाल, डॉ. रमेश कुमार पांडेय, बाल रोग विशेषज्ञ डॉ. राजेश सिंह, डॉ. पंकज वर्मा और डॉ. उमेश कुशवाहा शामिल हैं। इसके अलावा, जिला महिला अस्पताल के डॉ. पीके मिश्र, डॉ. महेश कुमार वर्मा, डॉ. नगमा खान, संयुक्त जिला चिकित्सालय के डॉ. नितिन चौधरी और प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र कौवापुर के डॉ. जय सिंह गौतम भी इस लिस्ट में हैं।
स्वास्थ्य सेवाओं पर असर, मरीज हो रहे परेशान
सरकारी डॉक्टरों की इस मनमानी का खामियाजा आम जनता को भुगतना पड़ रहा है। सरकारी अस्पतालों में डॉक्टरों की अनुपस्थिति के कारण मरीजों को घंटों इंतजार करना पड़ता है, वहीं कुछ मामलों में इलाज न मिलने के कारण उन्हें मजबूरन प्राइवेट क्लीनिक का रुख करना पड़ता है। इससे गरीब और जरूरतमंद मरीजों पर आर्थिक बोझ भी बढ़ रहा है।
क्या कहते हैं अधिकारी?
सहायक निदेशक स्वास्थ्य देवीपाटन मंडल डॉ. जयंत कुमार का कहना है कि जांच शुरू कर दी गई है और दोषी डॉक्टरों पर जल्द ही कार्रवाई की जाएगी। रिपोर्ट तैयार कर उच्चाधिकारियों को भेजी जाएगी, जिसके आधार पर आगे की कार्रवाई तय की जाएगी।