सद्भावना आवाज़
जीवन मंत्र
इस सप्ताह शनिवार, 23 दिसंबर को सबसे खास एकादशियों में से एक मोक्षदा एकादशी है। इस बार पंचांग भेद की वजह से ये तिथि 22 दिसंबर को भी है। इस तिथि पर गीता जयंती मनाई जाती है। गीता एकमात्र ग्रंथ है, जिसकी जयंती मनाते हैं। द्वापर युग में अगहन मास के शुक्ल पक्ष की एकादशी पर भगवान श्रीकृष्ण ने अर्जुन को गीता का उपदेश दिया था। इसी वजह से इस तिथि को गीता जयंती के रूप में मनाने की परंपरा है। व्रत-उपवास करने वाले लोगों के लिए एकादशी का महत्व काफी अधिक होता है। हर साल 24 एकादशियां होती हैं, लेकिन जिस साल अधिकमास भी रहता है, उस साल एकादशी 26 हो जाती हैं, जैसे इस साल सावन मास में अधिक मास आया था।
हार-फूल और वस्त्रों से करें श्रृंगार
अगहन यानी मार्गशीर्ष मास को श्रीकृष्ण का ही स्वरूप कहा गया है। इस महीने में श्रीकृष्ण की पूजा खासतौर पर की जाती है। रोज सुबह घर में बाल गोपाल का अभिषेक करना चाहिए। बाल गोपाल को जल, दूध और फिर जल से अभिषेक कराएं। हार-फूल और वस्त्रों से श्रृंगार करें। चंदन का तिलक लगाएं। माखन-मिश्री का भोग तुलसी के साथ लगाएं। कृं कृष्णाय नम: मंत्र का जप करें।माना जाता है कि जो लोग इस एकादशी पर व्रत करते हैं, उन्हें अक्षय पुण्य मिलता है। ऐसा पुण्य जिसका असर जीवनभर बना रहता है। इस पुण्य के प्रभाव से घर-परिवार में सुख-शांति और समृद्धि बनी रहती है। एकादशी पर भगवान विष्णु के लिए व्रत किया जाता है और सुबह-शाम महालक्ष्मी और विष्णु जी की पूजा की जाती है।
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मोक्षदा एकादशी का समय
शुक्रवार, 22 दिसंबर की सुबह 9.21 बजे से एकादशी तिथि शुरू होगी। ये तिथि 23 दिसंबर की सुबह 7.41 पर खत्म हो जाएगी। 23 तारीख को सूर्योदय के समय एकादशी तिथि रहेगी, इस वजह से 23 को ही ये व्रत करना ज्यादा शुभ रहेगा। शास्त्रों की मान्यता है कि सूर्योदय के समय जो तिथि रहती है, वही पूरे दिन मान्य होती है।
मोक्षदा एकादशी से जुड़ी खास बातें
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इस एकादशी के व्रत-उपवास और धर्म-कर्म से व्रत करने वाले के पितरों को मोक्ष मिलता है। व्रत करने वाले व्यक्ति को भगवान विष्णु की कृपा से सफलता और सुख-शांति मिलती है।
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शास्त्रों के मुताबिक, श्रीकृष्ण ने युधिष्ठिर को सालभर की सभी एकादशियों के बारे में बताया था।
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मोक्षदा एकादशी पर गीता का पाठ करना चाहिए। अगर पूरी गीता का पाठ नहीं कर पा रहे हैं तो गीता के कुछ अध्यायों का पाठ कर सकते हैं।
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किसी गोशाला में गायों की देखभाल के लिए धन का दान करें। गायों को हरी घास खिलाएं। इस दिन किसी मंदिर में गीता ग्रंथ का दान भी कर सकते हैं।
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