सद्भावना आवाज़
बलरामपुर।
सावन की पहली एकादशी 13 जुलाई को है। इसे कामिका एकादशी कहते हैं। सावन, गुरुवार और एकादशी का योग होने से इस दिन शिव जी, विष्णु जी के साथ ही देव गुरु बृहस्पति की भी पूजा कर सकते हैं। इन तीनों देवताओं की पूजा से कुंडली के ग्रह दोषों का असर कम होता है और अशांति दूर होती है।इस बार 19 साल बाद सावन महीने में अधिक मास आया है। अधिक मास की वजह से सावन दो महीने (31 अगस्त की सुबह तक) रहेगा। इस कारण सावन में 4 एकादशियां आएंगी। पहली एकादशी 13 जुलाई को है। इस एकादशी पर किए गए व्रत-उपवास से शिव जी और विष्णु जी की भक्ति हो जाती है, बृहस्पति की पूजा से कुंडली के ग्रह दोष शांत होते हैं। जानिए इन तीनों देवताओं की पूजा कैसे कर सकते हैं…
जलाभिषेक से करें शिव जी की पूजा
घर के मंदिर में या किसी अन्य मंदिर में तांबे के लोटे में जल भरें और शिवलिंग पर पतली धार से चढ़ाएं। इस दौरान ऊँ नम: शिवाय मंत्र का जप करते रहें। जल चढ़ाने के बाद दूध से अभिषेक करें और फिर जल से अभिषेक करें। बिल्व पत्र, धतूरा, आंकड़े के फूलों से श्रृंगार करें। चंदन से तिलक लगाएं। धूप-दीप जलाएं और मिठाई का भोग लगाएं। आरती करें।
महालक्ष्मी के साथ करें विष्णु जी का पूजन
घर-परिवार में सुख-समृद्धि बनाए रखने की कामना से एकादशी व्रत किया जाता है। एकादशी पर विष्णु जी के साथ ही महालक्ष्मी की भी पूजा करनी चाहिए। विष्णु-लक्ष्मी की प्रतिमा का जल से अभिषेक करें। इसके बाद दक्षिणावर्ती शंख में केसर मिश्रित दूध भरें और भगवान को चढ़ाएं। दूध के बाद जल चढ़ाएं। पीले-चमकीले वस्त्रों अर्पित करें। फूलों से श्रृंगार करें। मिठाई का भोग लगाएं। धूप-दीप जलाकर आरती करें।
शिवलिंग रूप में की जाती है गुरु ग्रह की पूजा
नौ ग्रहों में से एक गुरु ग्रह की पूजा शिवलिंग रूप में की जाती है। गुरुवार और एकादशी के योग में शिवलिंग पर पीले फूल चढ़ाएं। बेसन के लड्डू का भोग लगाएं और चने की दाल चढ़ाएं। शिव पूजा के बाद जरूरतमंद लोगों को चने की दाल का दान करें। किसी मंदिर में घी का दान करें।