जिले में परिषदीय और कस्तूरबा गांधी आवासीय बालिका विद्यालयों में नए सिरे से स्कूल प्रबंध समिति (एसएमसी) का गठन किया जाएगा। यह प्रक्रिया जिले के कुल 1825 विद्यालयों में पूरी की जाएगी, जिसमें 1165 प्राथमिक, 263 उच्च प्राथमिक और 386 कंपोजिट स्कूल शामिल हैं। इसके अतिरिक्त 11 कस्तूरबा गांधी आवासीय बालिका विद्यालय भी इस पहल के तहत आएंगे। बेसिक शिक्षा विभाग ने यह निर्देश दिया है कि सभी विद्यालयों में स्कूल प्रबंध समिति का गठन नवंबर माह के अंत तक पूरा कर लिया जाए, ताकि 1 दिसंबर से नई समितियां प्रभावी हो सकें। नई एसएमसी में कुल 15 सदस्य होंगे, जिनमें 11 सदस्य अभिभावक होंगे। यह सदस्य बच्चों के माता-पिता या अभिभावक से चुने जाएंगे, ताकि विद्यालय में परिवार और समुदाय की सहभागिता सुनिश्चित हो सके। इसके साथ ही समिति में चार अन्य सदस्य भी होंगे। इनमें प्रधानाध्यापक, एएनएम (सहायक नर्सिंग मिडवाइफ), स्थानीय निर्वाचित प्राधिकारी और जिलाधिकारी द्वारा नामित एक लेखपाल शामिल होंगे। यह चार सदस्य प्रशासनिक दृष्टिकोण से विद्यालय की कार्यप्रणाली और व्यवस्था की निगरानी करेंगे।
विद्यालयों में सुधार की शुरुआत
स्कूल प्रबंध समिति का गठन विद्यालयों की व्यवस्था को सुदृढ़ और प्रभावी बनाने के उद्देश्य से किया जा रहा है। एसएमसी का मुख्य कार्य विद्यालय की कार्यप्रणाली का अनुश्रवण करना है। इसके तहत विद्यालय के विकास के लिए योजना तैयार करना, बच्चों और शिक्षकों की उपस्थिति की गुणवत्ता की निगरानी करना और शिक्षा के स्तर को बेहतर बनाने के लिए कदम उठाना शामिल है। एसएमसी विद्यालय के प्रशासनिक और शैक्षिक कार्यों में सहयोग करके विद्यालय की सफलता सुनिश्चित करने का प्रयास करेगी।
पूर्व समितियों का कार्यकाल समाप्त
पूर्व में गठित समितियों का कार्यकाल समाप्त हो चुका है, और अब नए सिरे से समितियों का गठन किया जा रहा है। बेसिक शिक्षा विभाग ने खंड शिक्षाधिकारियों और प्रधानाध्यापकों को यह निर्देश दिया है कि वे इस प्रक्रिया को शीघ्र पूरा करें, ताकि विद्यालयों में सुधारात्मक उपाय जल्द लागू हो सकें। नई समितियां 1 दिसंबर से अपनी जिम्मेदारियों का निर्वहन शुरू करेंगी।इस पहल का उद्देश्य शिक्षा व्यवस्था में सुधार करना और विद्यालयों में प्रशासनिक तंत्र को सुदृढ़ करना है। यह सुनिश्चित करेगा कि विद्यालयों में शिक्षक, छात्र और अभिभावक सभी मिलकर शिक्षा की गुणवत्ता में सुधार के लिए काम करें। इससे स्थानीय स्तर पर विद्यालय की समस्याओं का समाधान जल्दी और प्रभावी तरीके से किया जा सकेगा। एसएमसी के गठन से विद्यालयों में अधिक पारदर्शिता आएगी और शिक्षा की गुणवत्ता को बेहतर बनाने के लिए स्थानीय समुदाय और प्रशासन के बीच सहयोग बढ़ेगा।